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इन विभिन्न बाधाओं के निराकरण से भारत में खिलौना उद्योग को तेजी से आगे बढ़ाया जा सकेगा। हम उम्मीद करें कि सरकार देश को खिलौनों का वैश्विक हब बनाने और खिलौनों के वैश्विक बाजार में चीन को टक्कर देने की रणनीति को शीघ्र आकार देने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी। हम उम्मीद करें

हमें जल व अन्य वातावरण को अपने पूर्वजों की देन नहीं समझना है, बल्कि इसे तो हमने अपनी आने वाली पीढ़ी से उधार स्वरूप लिया है, जिसे हमने जिस मात्रा व रूप में लिया है, उसे उसी रूप व मात्रा में दोबारा वापस करना है। ऐसी मानसिकता व धारणा के साथ जब सभी व्यक्ति जल

कर्नल (रि.) मनीष धीमान स्वतंत्र लेखक पिछले दिनों पांच राज्यों के चले चुनावों में नेताओं की ताबड़तोड़ रैलियां तथा हिमाचल के कांगड़ा जिला में मुख्यमंत्री जयराम जी का दौरा चर्चा का विषय बना रहा। दो दिन पहले मंडी के सांसद का संदिग्ध परिस्थितियों में निधन होना या आत्महत्या करना भी हर किसी की जुबान पर

उन्हें हिंदुस्तान का लोकतंत्र दिखाई नहीं देता। आंखों के चश्मे के कारण लोकतंत्र की प्रतिमा भी तानाशाही दिखाई देती है। विदेशी चश्मे और हिंदुस्तान पर दोबारा राज करने की इच्छा को किनारे रखकर यदि सोनिया परिवार देखने की कोशिश करेगा तो उसे स्पष्ट दिखाई देगा कि लोकतंत्र हिंदुस्तान का स्वभाव है… कांग्रेस के सर्वेसर्वा राहुल

पिछले कुछ समय से यह देखने को मिल रहा है कि हिमाचल प्रदेश में कई वर्षों से युवा कंपीटीशन की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही है। कहीं न कहीं इसके पीछे उनकी अध्ययन सामग्री व उनकी कार्य के प्रति लगन जिम्मेदार हो सकती है। यदि आप तन-मन-धन से अपनी

इस तकनीक  के कारण अब यह संभव हो गया है कि महिला का पेशेवर जीवन भी चलता रहे और उसे मातृत्व सुख से भी वंचित न रहना पड़े। पश्चिम में कई प्रसिद्ध महिलाओं ने इस तकनीक को अपनाया है जबकि भारतवर्ष में यह अभी बहुत शुरुआती स्तर पर है। यह कहना अभी मुश्किल है कि

फ्रांस के सम्राट लुई चौदहवें ने नीदरलैंड के साथ काफी लंबे समय तक युद्ध किया। इस संघर्ष में जब उसे ख़ास सफलता नहीं मिली तो निराश होकर अपनी असफलता के लिए मंत्रियों को कोसने लगा। तभी उसके एक क़ाबिल मंत्री जीन कॉल्बर्ट ने करारा जवाब देते हुए कहा, ‘सर, किसी राष्ट्र का बड़ा या छोटा

चीन भी अपनी डिजिटल मुद्रा को लॉन्च करके मुद्रा और भुगतान प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में कार्य कर रहा है। ऐसे में भारत के लिए डिजिटल करंसी को लॉन्च करना न केवल वित्तीय प्रणाली में बदलाव लाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह रणनीतिक दृष्टि से भी काफी आवश्यक है… भारतीय

दुर्भाग्य की बात यह है कि जनप्रतिनिधियों के वेतनमान लाखों रुपए एवं अन्य सुविधाएं होने के बावजूद उन्हें बुढ़ापे में हजारों रुपयों की पेंशन का लाभ भी प्राप्त है। उधर कर्मचारियों को न तो सही वेतन है, साथ ही पेंशन के सही लाभ भी नहीं मिल पा रहे हैं… लोकतांत्रिक प्रणाली में समानता के अधिकार