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डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार राहुल गांधी ने कहा कि चिट्ठी लिखने वाले भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में हैं। भाजपा के इशारे पर ही चिट्ठी लिखी गई है। इसका अर्थ यह हुआ कि सोनिया परिवार का यह निष्कर्ष है कि इस देश में माई कन्ट्री की चिंता केवल भाजपा करती है तो यकीनन

कर्नल (रि.) मनीष धीमान, स्वतंत्र लेखक भारत में अलग-अलग तरह के त्योहार और पर्व मनाने की एक विशेष परंपरा है और इस तरह के उत्सवों के साथ जनमानस दिल से जुड़ा हुआ है। लेकिन कोरोना वायरस के कारण इस बार होली, ईद, जन्माष्टमी तथा अब मुहर्रम और गणेश चतुर्थी सब सूनेपन में बीत गए। हर

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार मूल रूप से पंचायतों को राजनीति से दूर रखने की हमारी सिफारिश को संविधान संशोधन के निर्माताओं ने ध्यान में रखा, लेकिन व्यवहार में इनके चुनावों में राजनीति होती दिखती है। वास्तव में हमने यह सिफारिश भी की थी कि पंचायतों के चुनाव से बचा जाए क्योंकि इससे गांवों

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक हिमाचल प्रदेश की जनता  पठानिया को द्रोणाचार्य अवार्ड मिलने पर बधाई देती है तथा अपेक्षा करती है कि वह हिमाचल प्रदेश से हाकी में अर्जुन अवार्डी तैयार करें। इससे पहले पिछले वर्ष जुडो में ऊना जिले के जीवन शर्मा को द्रोणाचार्य अवार्ड मिला है। हिमाचल प्रदेश सरकार से अपेक्षा रहेगी

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार श्रीमती इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या के बाद प्रधानमंत्री बने श्री राजीव गांधी ने दलबदल विरोधी कानून बनवा लिया। परिणाम यह हुआ कि सांसदों के लिए दल के मुखिया से असहमत होना असंभव हो गया। दल की नीति के अनुसार वोट देना कानून हो गया और सांसद पिंजरे के तोते बन

कर्म सिंह ठाकुर लेखक सुंदरनगर से हैं हिमाचल जैसे पहाड़ी प्रदेश में उच्च शिक्षा के संस्थानों की बहुत कमी है।  हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय समरहिल तथा केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में हजारों डिग्री धारक छात्र हर वर्ष उच्च शिक्षा के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन सीटों की संख्या कम होने के कारण उन्हें निराश होना होना पड़ता

डा. वरिंदर भाटिया कालेज प्रिंसिपल पेड़-पौधे न सिर्फ  लगाएं, बल्कि उनकी पूरी तरह से देखभाल भी करें। अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करें जिससे कि प्रकृति का संतुलन बना रहे। वन्य हों या पालतू, जलीय हों अथवा थलीय, समस्त पशु-पक्षियों पर मानवों ने इतने प्रत्यक्ष व परोक्ष अन्याय किए हैं, यदि वे प्रतिशोध

विनोद भारद्वाज लेखक शिमला से हैं अब ये सीढि़यां प्रायः सूनी नजर आएंगी। सुबह 11 बजे से शाम के चार बजे के मध्य बुजुर्गों का बदस्तूर आना-जाना अब कोई नहीं देख पाएगा। इस केंद्र की दीवारों पर टंगे हिमाचल की विकास यात्रा के दुर्लभ चित्र कोई देख नहीं पाएगा। इस केंद्र की खासियत यह थी

डा. भरत झुनझुनवाला, आर्थिक विश्लेषक तात्पर्य यह है कि बड़ी कंपनियों के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश में हम अपनी कुल अर्थव्यवस्था को संकुचित करते हैं, वह छोटी होती जाती है, लेकिन उस छोटी अर्थव्यवस्था में भी बड़ी कंपनियों का विस्तार होता है। यही गति पिछले चार वर्षों से जारी है। हमारा सेंसेक्स 30 हजार