आस्था

इन तथ्यों को समझते हुए अपनी मनोभूमि को परिष्कृत एवं उत्कृष्ट बनाने की आवश्यकता है। भूत जो सचमुच भी होते हैं, वे मात्र अपने अतीत की अनुगूंज होते हैं। अपनी वासना-तृष्णा एवं आकांक्षा की आग से वे स्वयं ही जल रहे होते हैं। वे वस्तुतः अतीत की भूलों का फल भुगत रहे होते हैं और

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव  मैं नहीं जानता कि आप इनसानी दुखों के बारे में कितना जानते हैं। मैं रोजाना सैंकड़ों लोगों से मिलता हूं और जिस पल वे मेरे सामने बैठते हैं, मैं उनके आर-पार देख पाता हूं, उनका एक-एक हिस्सा देख सकता हूं। चाहे वे अपने चेहरे पर कितनी भी खुशी ओढ़ कर बैठें, मैं

स्वामी विवेकानंद  गतांक से आगे… सुख संपत्ति के समय जो लोग परम मित्र थे, संसार के चिरकाल के नियमानुसार दुःखी और विपत्ति के समय वो सब किनारा कर काट गए। तीक्ष्ण बुद्धि नरेंद्र सब कुछ समझ गए, पर उन्होंने सुध-बुध कायम रखी, धैर्य के साथ वो निर्धनता की पीड़ा को सहन करने लगे। मित्रों को

यह मूलतः ईंटों का किला था जो चौहान वंश के राजपूतों के पास था। इसका प्रथम विवरण 1080 ईस्वी में आता है जब महमूद गजनवी की सेना ने इस पर कब्जा किया था। सिकंदर लोदी (1487-1517) दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था जिसने आगरा की यात्रा की तथा इसने इस किले की मरम्मत 1504 ईस्वी

ब्राह्मण ने कृष्ण पर आरोप लगाया कि तुम्हारे छल-कपट भरे कामों के कारण द्वारिका में नवजात बच्चों की मौत हो जाती है। भगवान कृष्ण चुप रहे। ब्राह्मण लगातार भगवान पर आरोप लगाता रहा। यह देख रहे अर्जुन से रहा नहीं गया। उसने ब्राह्मण से कहा कि वो भगवान पर आरोप लगाना बंद करे। वो उसके

प्रॉब्लम बढ़ने पर तुरंत डाक्टरी ट्रीटमेंट लें। हमारी बॉडी में तीन तरह की मस्सल्स पाई जाती हैं जिनके नाम हैं, स्केलेटल मस्सल्स, कार्डियक मस्सल्स और स्मूथ मस्सल्स। ये मस्सल्स बॉडी के अलग-अलग हिस्सों में होते हैं…  दिनभर की भागदौड़ और थकान के कारण कई बार मस्सल्स पेन होने लगता है, लेकिन अगर यह प्रॉब्लम लंबे समय

योजनपनां तु तरयाअस्तत्र चक्र प्रतिष्ठितम्।। त्रिनाभिमिति पञ्चारं षण्नेमिन्यक्षयत्मके। संवत्सरमये कृत्स्व कालचक्रः प्रतिष्ठितम्।। हयाश्च सप्तच्छांसि तेषां नामनिसे शृणु। गायत्री च वृहत्युष्णिग्जगती तिष्टुरेव च।। अनुष्टव्यपक्तिरित्यक्ता छंदांसि हरयो रवेः। चत्वरिंशत्सहस्राणि द्वितीयोऽक्षो विवस्वत।। पंचान्यानि तु सार्धानि स्वन्दस्य महामते। अक्षप्रमाणमुभयोः प्रणामं यद्यु गाद्धयेः।। हृस्वीऽक्षस्तद्यु गार्द्धेन ध्रुवधारो रथस्य। द्वितीऽक्षे तं तच्चक्रं संस्थितं मानसाचले।। उसका धुरा डेढ़ करोड़ सात लाख योजन का

भारत में आम को फलों का राजा यूं ही नहीं कहा जाता। पीले सुनहरे रसीले आम न केवल खाने में स्वादिष्ट होते हैं, साथ ही ये सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं। आम में कई औषधीय गुण भी होते हैं, जिन्हें जानने के बाद आप खुद को इन गर्मियों में आम का स्वाद

स्वामी रामस्वरूप पुनः अथर्ववेद मंत्र 9/6/1 में कहा कि जो महापुरुष वेद विद्या द्वारा प्रत्यक्ष ब्रह्म को जान जाता है, उसकी यज्ञ सामग्री ही मानो  ‘परुंषि-परु’ अर्थात जोड़ है, ‘ऋचः यस्य अनूक्यम’ ऋग्वेद की रचनाएं रीढ़ की हड्डी और ‘सामानि यस्य लोमानि’ सामवेद के मंत्र ही जिसके शरीर के लोम अर्थात रोएं हैं, ‘यजुः हृदयम’