आस्था

समस्त ऋषियों को नियेग और वेदों के निर्देशानुसार नाम दिया। जिस प्रकार ऋतुओं के बदलने पर पहले के समान ही ऋतुओं के चिन्ह दिखलाई देते हैं, उसी प्रकार युग के आदि में देव आदि की उत्पत्ति पूर्ववत हुआ करती है। कल्प के आदि में ब्रह्मा जी सर्व शक्ति से युक्त होकर इसी तरह जगत की

संसार के विभिन्न भागों में कुछ चिन्हों,जगहों और वर्ष के विभिन्न कालों को पवित्र माना जाता है। विभिन्न संस्कृतियों में कुछ लोगों का आदर किया जाता है और उन्हें पवित्र माना जाता है। ईसाई क्रॉस, येरुशलम क्रिसमस और पोप को पवित्र मानते हैं। मुसलमानों के लिए अर्द्धचंद्र मक्का और रमजान का महीना पवित्र है। हिंदू

सूर्य को सृष्टि का प्राण कहा गया है। सूर्य के कारण ही धरती पर जीवन है। सूर्य नारायण एक दिन न निकलें, तो धरती पर त्राहि-त्राहि मच जाए। सूर्य का प्रकाश समस्त जीवधारियों में उल्लास एवं प्राण का संचार करता है, इसलिए सूर्य की इतनी महत्ता है। सूर्य मात्र आग का धधकता हुआ गोला भर

अथर्ववेद में लिखा है- ‘संध्यानो देवःसविता साविशद् अमृतानि।’ अर्थात् यह सविता देव अमृत तत्त्वों से परिपूर्ण है। और ‘तेजो मयोऽमृतमयः पुरुषः।’ अर्थात् यह परम पुरुष सविता तेज का भण्डार और अमृतमय है।आचार्य विनोबा भावे ने सूर्य को परमात्मा का सर्वश्रेष्ठ प्रतीक, सबसे अच्छा प्रेरणादायी मंदिर कहा है… सूर्य उपासना सनातन काल से प्रचलित रही है। 

यह एक्सरसाइज गर्दन की मांसपेशियों को लचीला बनाती है। इससे गर्दन की अकड़न और दर्द से  आराम मिलता है। इसे करने के लिए सबसे पहले बिलकुल सीधे खड़े हो जाएं और सांस भीतर भरें और बाहर छोड़ें। सांस को छोड़ते समय अपनी गर्दन को दाएं कंधे की ओर इस तरह झुकाएं कि कान कंधे को

अतः विद्वान सदा सत्य भाषण, सत्य को स्वीकार और सत्य कर्म को ही करते हैं और सदा आनंद में रहते हैं। विद्वान की भक्ति अनादि काल से चली आई, निराकार ब्रह्म, जो जन्म मरण से रहित है, उसकी भक्ति है जो वेदों पर आधारित है और विपरीत में जो प्राणी असत्य मार्ग पर चलते हैं,

आपको सुबह जल्दी उठना चाहिए ताकि आप वाक, वर्कआउट , एरोबिक, रनिंग या योग कर सकें। दरअसल मोटापा सिर्फ कैलोरी कम करने से नहीं जाएगा, वर्कआउट करना भी जरूरी है। शरीर का वजन मेंटेन करना बहुत जरूरी है।  एक सप्ताह में कम से कम 5 दिन वर्कआउट करें। 30 मिनट तक वर्कआउट के बाद 10

ज्येष्ठ महीने की अमावस्या, शनिदेव की उत्पत्ति की तिथि है। शनिदेव की जयंती के दिन  विधि-विधान  के साथ उनका पूजन करने से जीवन में आने वाली विभिन्न कठिनाइयों का शमन होने लगाता है और सफलता मिलने लगती है… शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनिदेव की उत्पत्ति हुई थी, इसीलिए इस दिन शनि

जब भी किसी व्यक्ति की कुंडली यह बताती है कि व्यक्ति के ऊपर शनि कुपित हैं, तब उसे पीपल पूजन की सलाह दी जाती है। यदि कसी इनसान पर शनिदेव की महादशा चल रही होती है, तो उसे पीपल की पूजा का उपाय जरूर बताया जाता है। कई बार मन में यह सवाल उठता है