आस्था

भगवती की उपासना के लिए ‘सौंदर्य लहरी’ आद्यशंकराचार्य का साधकों को दिया गया अप्रतिम उपहार है। वाह्य रूप से देखें तो यह एक निष्पाप हृदय द्वारा भगवती की उपासना प्रतीत होती है। गहराई में विचार करने पर साधकों को यह तंत्र के गुह्य रहस्यों का संचय प्रतीत होती है। अपनी काव्यात्मकता के लिए सौंदर्य लहरी

12 फरवरी रविवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष द्वितीया, फाल्गुन संक्रांति 13 फरवरी सोमवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष तृतीया 14 फरवरी मंगलवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष  चतुर्थी, अंगारकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत 15 फरवरी बुधवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष  पंचमी 16 फरवरी बृहस्पतिवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष पंचमी, वसंत ऋतु प्रारंभ 17 फरवरी शुक्रवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, षष्ठी 18 फरवरी शनिवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, सप्तमी

प्लेग की बीमारी में नीले रंग का पानी पिलाना और गिल्टी पर उसी से भीगा हुआ कपड़ा रखना चाहिए। पित्त ज्वर में नीला पानी बहुत ठीक है। आंखें दुखने को आ गई हों या रोड़े पड़ गए हों तो नीले पानी की बूंदें दवा की तरह डालना उचित है। सिर तथा आंखों पर नीले कांच

हमेशा किसी मनोविकार के वशीभूत रहने से व्यक्ति में अनावश्यक संघर्ष चलता रहता है। भय, क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, प्रतिहिंसा, लोभ, वासना इन पर नियंत्रण न होने से मनुष्य उत्तेजित बना रहता है। इच्छाओं की विभिन्नताओं के अनुसार मनोविकारों की अनेक रूपता का विकास होता है। प्रत्येक मनोविकार जटिलता उत्पन्न कर शारीरिक विकार का कारण बनता

व्यवहार संबंधी आवश्यक बातों की शिक्षा देते हुए यदि बालकों का पालन किया जाए, तो कोई कारण नहीं कि वह व्यवहार-कुशल न बन जाएं। प्रारंभ से ही बालकों में इसकी चेतना का विकास किया जाना चाहिए, जिससे वे स्वतंत्र व्यवहार करने की आयु तक पहुंचते-पहुंचते दक्षता प्राप्त कर लें। जिन बालकों में इन बातों का

तरङ्गयिता अपीमे सङ् गात्समुद्रायन्ति।। इन काम क्रोधादि दोषों का आकार पहले बहुत छोटा होता है। यह क्षुद्र रूप में हमारे मन में प्रवेश करते  हैं और जल्द ही  समुद्र की तरह विशाल आकार ग्रहण कर लेते हैं। कस्तरति कस्तरति मायाम् यः सङ्गांस्त्यजति, यो महानुभावं सेवते, निर्ममो भवति।। कौन तरता है? माया से कौन तरता है?

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव ने आनंद नृत्य की प्रस्तुति यहीं की थी, इसलिए इस जगह को आनंद तांडव के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के महत्त्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह भारत के

श्री टौणा देव का ऐतिहासिक भव्य मंदिर अष्टभुजाकार 55 फुट ऊंचा, 18 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है। यह मंदिर सरकाघाट मुख्यालय से 7 किमी. की दूरी पर रमणीक एवं देव घाटियों के मध्य स्थित है… विश्व में देवभूमि के नाम से विख्यात हिमाचल प्रदेश में वर्ष भर मेलों का आयोजन होता रहता है। यहां

इंदौर शहर में  पुलिस थाने के सामने पंढरीनाथ मंदिर है। यह मंदिर विट्ठल (विष्णु) भगवान का मंदिर है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि यह नाम  कैसे पड़ा और कौन हैं यह पंढरीनाथ। भगवान विष्णु, जिन्हें भक्त पंढरीनाथ, पांडुरंग, विट्ठल, विठोबा, विठू और न जाने कितने नामों से पुकारते हैं। मंदिर में विराजित भगवान