दखल

शिक्षा और समानता का अधिकार हमें विश्व में संवैधानिक तौर पर श्रेष्ठ बनाता है, परंतु शिक्षा की श्रेष्ठता की पहचान प्रतियोगी परीक्षाएं करवाती हैं। किसी भी प्रतियोगिता में हम अपनी श्रेष्ठता बेहतर अध्यापन, अध्ययन और मूल्यांकन से साबित कर सकते हैं। पुराने ढर्रे पर चल रही हिमाचली शिक्षा में क्या हैं श्रेष्ठता के विकल्प, क्या

एचपी बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई के दम पर चल रहे हिमाचल के स्कूलों में लाखों छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कहीं न कहीं प्रदेश का अपना बोर्ड अन्य बोर्ड से पीछे रहता जा रहा है। बात चाहे परीक्षा के नतीजों की हो या दूसरी गतिविधियों की, कहीं न कहीं कुछ तो कमी रह ही

कोरोना महामारी ने लोगों को घरों में बंद तो कर ही दिया, पर शिक्षा के मंदिरों में भी ताला जड़ दिया। शिक्षा पटरी से इस कद्र उतरी है कि अब उसके रफ्तार पकड़ने में न जाने कितना वक्त लगेगा। ऑनलाइन शिक्षा के सहारे चल रही हिमाचल की एजुकेशन चलेगी भी तो कब तक, क्योंकि नतीजे तो इसके भी डराने वाले हैं। इस बात को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता कि कोविड-19 ने हिमाचल में शिक्षा का भट्ठा बिठा दिया है। इस दखल में एजुकेशन पर कोविड-19 और लॉकडाउन के साइड इफेक्ट्स बता रही हैं संवाददाता प्रतिमा चौहान

चीन के वुहान से आए कोरोना वायरस ने हिमाचल के कोने-कोने में जड़ें फैला दी हैं। महामारी ने एक तरह से ज़िंदगी ही रोक कर रख दी है। इसका सबसे ज्यादा असर अगर किसी पर सबसे ज्यादा पड़ा है, तो वह है हिमाचल का व्यापार। प्रदेश में हर तरह का कारोबार पूरी तरह चौपट होकर

निचला हिमाचल अब बागबानी में अप्पर हिमाचल को टक्कर देने की पूरी तैयारी में है। सेब की बागबानी के लिए देश भर में अलग पहचान बना चुके शिमला, किन्नौर, कुल्लू-मनाली के अलावा अब कांगड़ा-चंबा, ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन और मंडी में भी लो-चिलिंग वैरायटी के सेब का उत्पादन बड़ी मात्रा में होने लगा है। निचले

कोरोना महामारी से जंग के बीच हुए लॉकडाउन ने शैक्षणिक संस्थानों को भी पूरी तरी तरह लॉक कर दिया है। स्कूल-कालेज-विश्वविद्यालयों के भवनों पर ताला लटक गया है। अब शिक्षकों के पास छात्रों से रू-ब-रू होने का कोई तरीका है, तो वह है ऑनलाइन एजुकेशन। ऐसे हालात के बीच लाखों का एकमात्र सहारा था, तो

बरसात शुरू हो चुकी है और आने वाले कुछ ही दिनों में यह परवान चढ़ जाएगी। मानसून हिमाचल को हर साल गहरे जख्म देकर जाता है। किन्नौर-कुल्लू-मंडी-चंबा और सिरमौर के ऊपरी इलाकों में बादल फटने का खौफ हमेशा बना रहता है। हिमाचल में इस कहर से निपटने की क्या हैं तैयारियां? कितना सतर्क है आपदा

एग्जाम वही थे, एग्जामिनर वही थे… और तो और शिक्षा बोर्ड भी वही था, पर समां हट कर था। कोरोनाकाल है ही कुछ ऐसा, जिसने अजीब हालात पैदा कर दिए। इस संकट के बीच हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड का 12वीं का परीक्षा परिणाम भी आया, जिसमें कई रिकार्ड बने। वैश्विक महामारी के बीच प्लस

हिमाचल में छह बार के सीएम वीरभद्र सिंह का होम टाउन रोहड़ू एजुकेशन की रॉयल सिटी बन गई है। ब्लॉक में 60 स्कूलों के साथ कालेज और प्रोफेशनल एजुकेशन सेंटर हैं, जिनमें हजारों छात्र तराशे जा रहे हैं। चुनौती है, तो बस सरकारी स्कूलों को प्राइवेट के बराबर लाने की। आखिर कैसे एजुकेशन हब बना