दखल

हिमाचल के खाते में अब तीन नए नगर निगम जुड़ गए हैं। सोलन-पालमपुर और मंडी के नगर निगम बनने के बाद अब बहुत से बदलाव होंगे, यह तो तय है। प्रदेश में कुछ इलाकों को नगर निगम बनाने की मांग काफी समय से उठ रही थी, परंतु इसी के साथ विरोध के स्वर भी कम

आईआईटी यानी इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मंडी हिल टेक्नोलॉजी के लिए एक आविष्कारिक संस्था के रूप में उभरा है। इस राष्ट्रीय संस्थान ने अपनी स्थापना के अल्प काल में ही एक से बढ़कर एक अविष्कार कर बड़े-बड़े राष्ट्रीय संस्थानों को पीछे छोड़ दिया है। तरह-तरह की खोजों के साथ संस्थान ने अब तक क्या-कुछ किया

‘सूचना का अधिकार‘ आम जनता के लिए सबसे अहम अधिनियम है।  कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह के संशय में हो, तो तुरंत आरटीआई से सूचना हासिल कर सकता है। इस हथियार का इस्तेमाल करने में हिमाचली काफी आगे हैं। भ्रष्टाचार रोकने में सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकार सरकार को जगाने में भी खास भूमिका निभाता है।

…लो आज आखिर आ ही गया वह वक्त, जब देश-दुनिया की अपनी तरह की पहली नौ किलोमीटर लंबी सुरंग जनता के नाम हो जाएगी। 20 साल में तैयार हुई इस गुफा की हर चीज़ निराली है… सेना के लिए ब्रह्मास्त्र, तो लाहुल वासियों के लिए आजादी से कम नहीं है यह अटल टनल। आखिर रोहतांग

छोटी काशी के नामी शहरों में शुमार जोगिंद्रनगर आज हाईटेक एजुकेशन की ओर अग्रसर है। मंडी जिला का यह शहर शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा नाम कमा रहा है। लाखों छात्रों का भविष्य संवारने में अहम योगदान दे रहा यह शहर आज एजुकेशन हब बनकर उभरा है। यहां के स्कूलों ने ऐसी क्रांति लाई कि

कोरोना काल में न जाने कितने ही युवाओं का रोजगार छिन चुका है। देश-विदेश से लौटे युवा अब यहां अपने ही प्रदेश में नौकरी की तलाश में हैं। इसी बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी एक बड़ा बयान दिया है कि हिमाचली युवा नौकरी मांगने नहीं, देने वाला होगा। …तो प्रदेश में क्या हैं योजनाएं,

फख्र तो बहुत होता है..सुनने में और कहने में भी कि हिंदी हमारी मातृभाषा है, पर आज अगर कुछ पन्ने पलटने लगें, तो हिंदी का वजूद खत्म होता सा दिखता है। ऐसा एहसास होना भी तो लाजिमी है न, क्योंकि हिंदी को छोड़ हम अंग्रेजी की दौड़ में जो शामिल हो रहे हैं। आज की

बरसात आती नहीं कि हिमाचल की नींद हराम हो जाती है। हो भी क्यों न…देवभूमि की खड्डें-नाले जब उफान पर आते हैं, तो कोई कसर नहीं छोड़ते। अब तक न जाने कितनी ही ज़िदगियां लील चुकी यें डरावनी खड्डें करोड़ों भी बहा ले गई हैं। हर  हिमाचली का सुख-चैन छीनने वाली बरसात में किस तरह

बरसात अभी कदम भी नहीं रखती है, पर हिमाचल की नींद हराम हो जाती है। हो भी क्यों न…देवभूमि की खड्डें-नाले जब उफान पर आते हैं, तो नुकसान की कोई कसर नहीं छोड़ते। याद होगा आपको जाहू पुल हादसा! अब तक न जाने कितनी ही ज़िदगियां लील चुकी यें डरावनी खड्डें करोड़ों बहा ले गई