पाठकों के पत्र

( डा. राजन मल्होत्रा, पालमपुर ) हिमाचल प्रदेश की एकमात्र स्मार्ट सिटी धर्मशाला में अब ऐसे डस्टबिन लगाए जाएंगे, जो जर्मनी के फार्मूले पर काम करेंगे। ये ऐसे डस्टबिन होंगे, जिनमें सेंसर लगे होंगे तथा जिसमें कूड़ा भरते ही अलार्म नगरपालिका कार्यालय में बज जाएगा और कूड़ा उठाकर नगर पालिका कर्मचारी ले जाएंगे। इसके लिए

( राकेश परमार, सोलन ) देवभूमि हिमाचल में त्योहारों, समारोहों की अपनी एक अनूठी पहचान है। लिहाजा साल भर विभिन्न उत्सवों, मेलों व त्योहारों के अलावा पारिवारिक समारोह चलते ही रहते हैं। इसके साथ ही इन विशेष अवसरों पर हिमाचली पकवानों का खासा महत्त्व रहता है, लेकिन शायद समाज की कोई भी परंपरा नकारात्मक पक्षों

( मानसी जोशी ) सहारनपुर में फिर हिंसा भड़क उठी। उपद्रवियों के कारण वह जातीय हिंसा के चपेट में आ गया। जाति के मुद्दे को लेकर सामाजिक वातावरण अशांत करना मतलब उसी मुद्दे पर अड़े रहना है। इससे कभी कुछ हासिल नहीं होगा। उससे सिर्फ  समाज में जाति के सहारे दीवारें बनती जाएंगी और उस

( डा. राजन मल्होत्रा, पालमपुर ) एक तरफ उग्रवाद, एक तरफ उग्रवाद को करारा जवाब। यदि इसे इस तरह कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। एक तरफ जहां इंग्लैंड के लंदन में मनचैस्टर में एक अमरीकी स्टार एशियान ग्रांदे के प्रोग्राम में आईएसआईएस ने धमाका किया और 22 निहत्थे लोगों की मौत हो गई

( रूबी पठानिया,मनाली ) पहले पीलिया और अब स्वाइन फ्लू हिमाचल में अपने पैर पसारने लगा है। वैसे हिमाचल स्वास्थ्य में अव्वल है, पर हो सकता है यह अव्वल सिर्फ आंकड़ों के हिसाब से ही होगा। जमीनी हकीकत तो यह पीलिया और स्वाइन फ्लू बताते हैं कि हिमाचल स्वास्थ्य सेवाओं में कितना अव्वल है। मंडी

(कंचन शर्मा,  नालागढ़) अभी कुछ दिन पहले ही हिमाचल सरकार ने 700 करोड़ का ऋण उठाया था और अब सरकार फिर 500 करोड़ का कर्ज 10 साल की अवधि के लिए लेगी। यानी कि दूसरे-तीसरे महीने के बाद ऋण लेना ही पड़ रहा है। बिना ऋण लिए सरकार का काम चलने वाला भी नहीं। वैसे

(रूप सिंह नेगी, सोलन) आजकल प्रदेश में  सरकार  द्वारा ताजा कर्ज लेने और प्रदेश पर 50000 करोड़ के करीब की रकम कर्ज होने पर चर्चाओं का बाजार गर्म होना स्वाभाविक है, लेकिन कर्ज लेने के बिना विकास कर पाना भी तो मुमकिन नहीं होता है। गौरतलब  है कि समस्त भारत में शायद ही कोई राज्य

चारा बाबू कसकर चूसा प्रांत को, जैसे लैमन जूस, केवल चारा ही चरा, कभी न खाई घूस। अति दरिद्र अति दीन हैं, फिरते खाली पेट, तन पर बस बनियान है, कहते हो क्यों सेठ। आधी दिल्ली आपकी, फिर भी हैं लाचार, अब तो अपना  बंद है चारे का व्यापार। पशु की पसली चमकती, फूल रही

(अक्षित आदित्य तिलक राज गुप्ता, रादौर) अंबाला से चंडीगढ़ जाते हुए या आते हुए जब आप लालड़ू के फ्लाईओवर पर पहुंचते हैं तो देखेंगे कि दाएं और बाएं, दोनों तरफ सवारियों का जमघट लगा रहता है, जो कि फ्लाईओवर पर ही रुकने वाली परिवहन की सरकारी और निजी बसों में सवार होती हैं। यही सवारियां