पाठकों के पत्र

(बालम बरवाल) बड़ा हर्ष हो रहा है कि भारत सरकार ने धर्मशाला को स्मार्ट सिटी घेषित किया है। धर्मशाला के स्थान पर समस्त जिला कंगड़ा को स्मार्ट सिटी घेषित किया होता और करोड़ों का बजट ग्रामीण इलाकों पर खर्च किया जाए, तो शहरों की तरह हमारे गांव भी शहर बन जाएंगे। लोग गांवों को छोड़

(प्रेम चंद माहिल, लहराना, हमीरपुर) देश की करंसी (मुद्रा)किसी देश की रीढ़ मानी जाती है। इसी बात को भारत सरकार ने ध्यान में रख कर कानून पारित किया है कि करंसी जलाना या पिघलाना कानूनी अपराध है। आरबीआई ने आदेश दिया है कि बैंकों में नोटों की गड्डी पर पिन न लगाई जाए, जिसके अनुसार

(रोहिणी कंवर, बिलासपुर) अकसर समाचार रोज ही होता है कि जम्मू-श्रीनगर में कहीं गोलाबारी हो रही है, कहीं पत्थरबाजी हो रही है, तो कहीं सीमाओं पर पाकिस्तानी सेनाओं द्वारा बमवर्षा की जा रही है। और सरकार है कि सब चुपचाप देख रही है। सीमाओं पर रह रहे लोग बंकरों में रहने को मजबूर हैं। भारत

अद्भुत शल्य प्रहार धुआं धुआं बंकर हुए, चौकी कर दी खाक, ऐसे भी अब राख हो, इंशा अल्लाह पाक एक रुपइया हेग में, अब चौबीस सेकंड तू इस्लामाबाद में, अब भुगतेगा दंड वाह वाह क्या बात है, अद्भुत शल्य प्रहार बदला जमकर ले लिया, पड़ी बीस पर मार तड़फ रहा है रात-दिन, उठता रोज मरोड़

(सुरेश कुमार, योल ) धर्मशाला स्मार्ट सिटी बन गया और शिमला भी रेस में है। शिक्षा में हिमाचल अव्वल हो गया और स्वास्थ्य में भी। पर यह क्या शिलाई की ग्राम पंचायत के रिठोइर, खनियार, पनाल व बिरांडों गांवों के 50 परिवारोें को पता ही नहीं है कि बिजली क्या होती है। आजादी के 70

बुद्धिमान गोगोई (डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर) गोगोई को कर रहा, भारत आज सलाम। नया शोध तुमने किया, अद्भुत है यह काम। हींग लगी न फिटकरी, चोखा चढ़ गया रंग, घायल बाजों के हुए सारे सपने भंग। घायल द्रोही बांध लो, या फिर उनकी लाश, कोई पत्थरबाज तब, क्या फटकेगा पास? दुश्मन अंदर देश के,

(केसी शर्मा, सूबेदार मेजर(रि.),गगल ) भारत के समक्ष कई गंभीर समस्याएं हैं। बढ़ती जनसंख्या, बढ़ती बेरोजगारी, भ्र्रष्टाचार, कानून व्यवस्था, सामाजिक उत्थान, समाज के भीतर बढ़ती असमानता। यह्य समस्याएं देश की अपनी समस्याएं हैं, जिन से सरकारें लड़ रही हैं।  इन समस्याओं पर काबू पाने में लंबी योजनाएं बनाने में सरकारें प्रयासरत  हैं। आज सबसे चर्चित

(कृष्ण गतवाल, संतौन, सिरमौर) हिमाचल को हम देवभूमि कहते बड़ा गर्व महसूस करते हैं और यह देवभूमि है भी। पर आजकल हिमाचल में भी शादी समारोहों पर काफी खर्चा किया जाता है। लोग शराब  पर पानी की तरह पैसा बहाते हैं। दिखावे के लिए शादी समारोहों पर इतना खर्च करते हैं कि सारी उम्र के

( राधा पठानिया, कुल्लू ) सड़कों पर आजकल सैलानियों का सैलाब देखा जा सकता है। पर हिमाचल की व्यवस्थाएं हांफती सी लगती हैं। कहीं जाम, तो कहीं खराब सड़कें हिमाचल की छवि पर दाग लगाती हैं… विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं? निःशुल्क रजिस्टर करें !