संपादकीय

बलात्कार भी हिंदू-मुस्लिम हो सकता है। जम्मू के कठुआ में मुस्लिम नाबालिग कन्या से सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर हत्या…! उसकी प्रतिक्रिया में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में इंडिया गेट पर कैंडल मार्च आयोजित किया गया। इस बार गाजियाबाद जिले के एक मदरसे में कथित मौलवी ने 10 साल की एक नाबालिग

अपने मंत्रिमंडलीय फैसलों की तहजीब में हिमाचल सरकार बेशक मंजिलें लांघने की जुस्तजू रखती है, लेकिन प्रस्तुति से स्तुति तक पहुंचने की मंजिलें अलग भी होती हैं। गुरुवार की मंत्रिमंडलीय बैठक का गुरुत्त्व नए रोजगार का वजन बढ़ाता है, तो युवा आशाओं के समुद्र से कुछ लहरें अवश्य ही हलचल पैदा करेंगी। हम फैसलों की

न मुजरिम सामान्य हैं और न ही इसकी खोज साधारण तरीकों से संभव है, इसलिए आरोपों के तीरों से बिंधा कोटखाई का सामाजिक परिदृश्य आज भी आहत है। कहीं जंगल में दबी चीख की अनुगूंज का बार-बार लौट आना या कहीं जांच के मुर्दों का जीवित हो जाना सालता है। वहां एक साथ कई मुजरिम

कल तक जो ‘भगवान’ था, आज वह बलात्कारी है। जिसके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू सजते थे और वह खुद को ‘शिव का अवतार’ मानता था, आज बलात्कारी के तौर पर जेल में है। होली के पर्व पर आपने भी उस शख्स का ‘कमंडल डांस’ देखा होगा या भगवान कृष्ण की तरह

हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड की जमा दो की परीक्षा हालांकि प्रदेश के सपनों के महल को बुलंदी दे रही है, फिर भी कहीं सरकारी बनाम निजी स्कूलों में मुकाबला हो रहा है। पाठ्यक्रम की सीमाएं और सरकारी क्षेत्र की उपयोगिता के दीपक अंधेरे से लड़ते देखे जा सकते हैं। शोहरत के पैगाम में शिक्षा एक

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद ने ऐसा बयान क्यों दिया? यह आत्म-स्वीकृति दशकों बाद क्यों सामने आई है? सलमान ने हकीकत की तमाम हदें पार क्यों कीं, जब उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दामन पर खून के धब्बे हैं। ये धब्बे दंगों ने दिए हैं। ऐसा कैसे हो सकता है कि तुम

हिमाचली चिंताओं का पिटारा कोई नया नहीं, फिर भी यह हर सरकार के कंधों की ताकत का संघर्ष है और जिसे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी खाली करने की इबादत में केंद्र का रुख कर रहे हैं। जाहिर है अभ्यास के अपने आयाम चुन रही प्रदेश सरकार अगर केंद्रीय बजट की जमीन पर हिमाचली रंगोली बना

सुप्रीम कोर्ट के ही ‘प्रथम न्यायाधीश’ के खिलाफ आरोपों की बौछार और महाभियोग की कोशिश…! और अब इंसाफ  मांगने को भी उसी की दहलीज़ पर…! क्या दोगलापन है! कांग्रेस को चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट, प्रधान न्यायाधीश सभी में खोट नजर आता है, किसी पर भी भरोसा नहीं है। चूंकि उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति वेंकैया

देश के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ  पहली बार महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है। जस्टिस दीपक मिश्रा की न्यायिक और प्रशासनिक शक्तियां क्षीण होंगी या उन्हें पद से हटने को बाध्य किया जा सकता है, यह कांग्रेस और उसके चंपू विपक्षी दलों की खुशफहमी ही है, लेकिन ऐसा कर आम नागरिक के मौलिक अधिकारों पर डाका