संपादकीय

भारत की याचिका पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) ने पाकिस्तान को लिखकर निर्देश दिया है कि भारत के पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव की फांसी को फिलहाल रोक दिया जाए। यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की गौरतलब जीत है। नीदरलैंड स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने भारत-पाक के संदर्भ में ऐसे विरोधाभासों को देखा होगा, जिनके

राजनीतिक विरोध का अपराधी बना केंद्रीय विश्वविद्यालय, कब शिक्षा की जमात बन पाएगा, इसका जिक्र पुन: हुआ, फिर भी सांसद शांता के लिए एक शिक्षण संस्थान की पैरवी करना इतना सरल नहीं। हम केंद्रीय विश्वविद्यालय के अस्तित्व के साथ ज्यादती करते हुए भी यह तय नहीं कर पा रहे कि इसमें जीतेगा कौन और हारेगा

यह दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र है या किसी नौटंकी का मंच! क्या केजरीवाल और उनकी पार्टी ‘आप’ के सहयोगी विधानसभा का इस्तेमाल करते हुए नुक्कड़ नाटक खेल रहे हैं? केजरीवाल सरकार ने दो साला कार्यकाल के दौरान आठवां विशेष सत्र बुलाया था। एक सत्र पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं, लेकिन जनवादी मुद्दे हों,

सवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बोलती बंद का ही नहीं है। सवाल नैतिकता, पारदर्शिता, जवाबदेही और शुचिता का है। सवाल यह भी है कि केजरीवाल वैकल्पिक राजनीति और व्यवस्था लाना चाहते थे या वैकल्पिक भ्रष्टाचार के मूक पैरोकार बनना चाहते थे? केजरीवाल ने अपने ही स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से दो करोड़ रुपए

किसी ब्रांड एंबेसेडर को ढूंढ रहे हिमाचल पर्यटन के लिए चिंता का सबसे बड़ा सवाल यह है कि सैलानी ठहराव यहां लगातार नगण्य हो रहा है। एक स्वतंत्र एजेंसी के सर्वेक्षण में सबसे नकारात्मक पहलू भी यही है कि औसतन घरेलू पर्यटक मात्र एक ही रात ठहरकर लौट जाता है, जबकि विदेशी सैलानी भी दो

विकास को रेखांकित करता हिमाचल दो नावों पर सवार है। एक वह जिस पर केंद्रीय मदद से घोषणाओं के मंच सजने को उतारू और दूसरी वह जिस पर मुख्यमंत्री का काफिला हर रोज और हर मोड़ को सौगात बांटने निकलता है। कमोबेश इसी डगर पर केंद्रीय  मंत्री नितिन गडकरी ने नेशनल हाई-वे पर राज्य को

कश्मीरी नेता शबनम लोन का कहना है कि पत्थरबाज भारत के साथ रहना ही नहीं चाहते। वे इनसाफ-नाइनसाफी की लड़ाई लड़ रहे हैं। आखिर कश्मीर के पत्थरबाज लड़के-लड़कियां किस देश के हैं? जहां उनका जन्म हुआ, पालन-पोषण हुआ और बड़े होकर अब वे रहते हैं, वह जमीन भारत की है। कश्मीर भारत का है। कश्मीर

अपना रिपोर्टकार्ड तैयार करते शिमला के लिए स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग, कुछ नए कठघरे खड़े करने सरीखी है। यह इसलिए भी क्योंकि सफाई का स्तर पिछले एक साल में बीस पायदान लुढ़ककर शिमला की रौनक और दर्जे को फीका करता है। हम चाहें तो सारा दोष नगर निगम पर मढ़ दें और गंभीरता से देखें

‘16 दिसंबर, 2012 की रात निर्भया के साथ जो हुआ, वह इतना बर्बर, क्रूर, राक्षसी था कि उसने दुनिया में ‘सदमे की सुनामी’ पैदा कर दी। ऐसा लगता है मानो वह किसी दूसरी दुनिया की कहानी है। ऐसे अपराधियों के लिए कानून में किसी भी तरह के रहम की गुंजाइश नहीं है। यह जघन्य से