संपादकीय

पंजाब और गोवा में मतदान भी हो चुका है। पंजाब में 78 फीसदी से ज्यादा मतदान और गोवा में 83 फीसदी से ज्यादा मतदान किया गया है। पंजाब में 2012 की तुलना में मतदान कुछ अधिक है, जबकि गोवा ने पुड्डुचेरी का रिकार्ड तोड़ कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इसकी यह व्याख्या नहीं की

विकास के प्रति विधायकों का विजन उस प्राथमिकता से निर्धारित होता है, जिसे बजट की रूपरेखा में तय करते हैं। हालांकि शिमला में बैठकों के दौरान विधायकों का मूड राजनीतिक अंकगणित के हिसाब से भी पढ़ा गया, फिर भी इस बहाने विधानसभा क्षेत्रों की जनता अपने प्रतिनिधियों की सोच का मूल्यांकन कर सकती है। विकास

आज चुनाव और बजट से अलग उस मुद्दे का विश्लेषण करेंगे, जो आतंकवाद और हमारी हिफाजत से जुड़ा है। बीते दिनों अचानक खबर आई कि लश्कर-ए-तोएबा और जमात-उद-दावा सरीखे आतंकी गुटों के संस्थापक सरगना हाफिज सईद को लाहौर में एक मस्जिद में नजरबंद किया गया है। तुरंत व्याख्याएं शुरू हो गईं कि अमरीकी राष्ट्रपति टं्रप

यूपीए सरकार के दौरान जब बसपा प्रमुख मायावती के दिल्ली आवास पर आयकर वालों ने छापा मारा था, तो कुछ लोग वहां मौजूद थे, जो 20,000 रुपए से कम राशि की पर्चियां काट रहे थे। चंदा देने वालों के नाम और राशि सब कुछ फर्जी थे। उसके बाद मायावती और उनके साथी नेताओं ने दलीलें

अदालत के जरिए न्याय के प्रति अटूट विश्वास का होना हमारे भीतर राष्ट्र और लोकतंत्र की मजबूती है। आस्था की जिस मजबूती से समाज कानून को देखता है, वहां न्यायाधीश का पद और गरिमा किसी अवतार से कम नहीं। मानवीय चरित्र के मायने और राष्ट्रीय कर्त्तव्य का उत्तरदायित्व, अदालती निर्णयों की फेहरिस्त में सम्मानित हो

जाहिर तौर पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के ऊपर नोटबंदी के बुरे प्रभाव को दरकिनार करने की चुनौती रही है और इसी के परिप्रेक्ष्य में बजट के सुर सुनाई देंगे, हालांकि खुशी और खुशफहमी की ओर सरकने की आशा और आशंका पूरी तरह निरस्त नहीं हो रही है। यह बजट पूरी तरह वित्त मंत्री का

मोदी सरकार का चौथा बजट लोकसभा में पेश किया जा चुका है। पहली बार आम बजट के साथ रेल बजट के प्रस्ताव भी रखे गए हैं। ऐसा 1924 के बाद हुआ है। अलबत्ता 1924 से 2016 तक रेल बजट अलग से ही पेश करने की परंपरा रही है। बहरहाल हम यह विमर्श नहीं करेंगे कि

चिकित्सा व शिक्षा को राजनीतिक तिजोरियों में भरने की हमेशा से हिमाचल में प्रतियोगिता रही है और इसी आधार पर विभिन्न सरकारों ने खुद को साबित किया। हम राजनीति के इस पहलू को नकार नहीं सकते, फिर भी जिस मुकाम पर घोषणाओं के रथ खड़े हैं, वहां कुछ फैसले शिक्षाविदों या विषय विशेषज्ञों के अनुभव

बंटा घर, बंटे रिश्ते, बंटी पार्टी और बंटे नेतृत्व के बावजूद कोई गठबंधन स्थिर और सार्थक हो सकता है? सपा-कांग्रेस के गठबंधन पर ‘नेताजी’ मुलायम सिंह यादव ने जिस तरह करवट बदली है, उसके मद्देनजर सवाल स्वाभाविक है कि क्या सपा के पुराने नेता, कार्यकर्ता कांग्रेस कोटे की 105 सीटों पर चुनाव में उतरेंगे? क्या