विचार

– डा. राजन मल्होत्रा, पालमपुर भूतपूर्व केंद्रीय रक्षामंत्री तथा एक महान नेता ‘श्री जॉर्ज फर्नांडीस’ का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। ऐसा समाचार दूरदर्शन व आकाशवाणी पर सुनने व देखने को मिला तो मन को गहरा आघात लगा। श्री जॉर्ज फर्नांडीस अपनी सच्चाई व सादगी के लिए जाने जाते थे। वह जितने

अवधेश कुमार स्वतंत्र लेखक हमारे देश की हालत यह है कि अगर कोई ईवीएम या वीवीपैट खराब हुआ और कुछ देर मतदान रुक गया तो भी उसे ईवीएम के साथ छेड़छाड़ बताने का हास्यास्पद तर्क दिया जाता है। कोई मशीन नहीं जिसमें खराबी आए नहीं। खराबी आने पर उसे ठीक करने या तुरंत बदल देने

संजय शर्मा लेखक, शिमला से हैं हिमाचल एक पहाड़ी प्रदेश होने के कारण औद्योगिकरण से जुड़ी कुछ मुलभूत समस्याओं से भी दो-चार होता रहा है, मसलन मैदानी राज्यों के मुकाबले खर्चीले औद्योगिक व सामाजिक मूलभूत ढांचे का विकास, बाजार की कमी, उद्योगों की स्थापना के लिए बडे़ औद्योगिक क्षेत्रों का अभाव, समुचित दक्ष श्रमशक्ति का

अयोध्या विवाद सर्वोच्च न्यायालय की प्राथमिकता सूची में नहीं है, अब यह वाकई सच लगने लगा है। यह मुद्दा सामान्य या टालू नहीं हो सकता, क्योंकि असंख्य लोगों की आस्था से जुड़ा है। आस्था कई मायनों में रोजी-रोटी से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होती है। बेशक देश सर्वोच्च न्यायालय और उसके फैसलों का सम्मान करता रहा

अपने अक्स से मुखातिब भाजपा के लिए ऊना का पन्ना सम्मेलन, राजनीतिक इतिहास की जिरह की तरह मौजूद रहा। इसमें पार्टी का संगठन और राष्ट्रीय अध्यक्ष की खनक मौजूद रही। हिमाचल के बड़े नेताओं का स्वागत और कार्यकर्ताओं की ताल पर जयराम सरकार का आह्वान देखा, तो सवालों की बैसाखी पहने कांगे्रस को भी इस

 राजेश कुमार चौहान, जालंधर आज हमारे देश के गण के तंत्र में दोष आ गए हैं, लेकिन फिर भी हमारा देश दुनिया का सबसे निराला देश है। यहां संविधान में हर धर्म, संप्रदाय और जातिवर्ग को एक समान मूल अधिकार और कर्त्तव्यों का प्रावधान है। हमारे देश के गण के तंत्र में जो कुछ दोष

पूरन शर्मा स्वतंत्र लेखक भैंस के आगे मैंने बीन बजाई तो उसने अपना सिर हिलाकर मना कर दिया। मैंने कहा-‘क्यों क्या बात है, बीन अच्छी नहीं लगती?’ इस बार भैंस कोई जवाब न देकर जोर से रंभाई तो उसकी आवाज सुनकर ज्ञानी जी प्रकट हुए और मुझसे बोले -‘क्यों भैंस को परेशान कर रहे हो,

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक किसान की आय बढ़ाने के लिए फसलों के उत्पादन और मूल्य को बढ़ाने की नीति घातक है, चूंकि देश के पास इतना पानी ही नहीं है। अतः हमें उत्पादन घटाकर किसान की स्थिति में सुधार लाना होगा। इसके लिए हर किसान, चाहे वह युवा हो या वृद्ध, उसे एक निश्चित

सतपाल सीनियर रिसर्च फेलो, अर्थशास्त्र विभाग जैव-प्रौद्योगिकी व सूक्ष्म जीव विज्ञान जहां एक ओर समाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है, वहीं हिमाचल प्रदेश में इन विषयों का महाविद्यालयों में अध्यापन नहीं किया जा रहा है। अगर है भी तो प्रदेश के मात्र एक- दो महाविद्यालयों तक ही सीमित है… जैव-प्रौद्योगिकी वर्तमान में मानव जीवन में एक महत्त्वपूर्ण विषय