वैचारिक लेख

रविंद्र सिंह भड़वाल लेखक, दिव्य हिमाचल से संबद्ध रहे हैं गिरावट के कारण किसी भी अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव को काफी हद तक उसे संचालित करने वाली आर्थिक नीतियां तय करती हैं, लिहाजा विकास दर में पिछड़ने के बाद सरकार को निष्पक्षता के साथ अपनी आर्थिक नीतियों की समीक्षा करनी होगी। सरकार को अब गैर-उत्पादक कार्यों

निर्मल असो स्वतंत्र लेखक वायरस अटैकिंग मूड में नहीं था, उसके ऊपर भारतीय सहिष्णुता का असर था। वह दरअसल बाबा राम देव के चमत्कार से प्रभावित था। हालांकि वह कोरोना नहीं था, लेकिन उसी की वंशावली और चीनी परिवेश से निकला हुआ था। पूछा तो बताने लगा, ‘मेरे वंशजों का मानना है कि भारत में

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार अपनी खोई भारतीय नागरिकता वापस पाने के लिए प्रयासरत यह हिंदू-सिख समाज मोटे तौर पर दलित हिंदू समाज है, जो 1947 से पाकिस्तान- बांग्लादेश में फंसा हुआ है और वहां की सरकारों ने न उस समय उनको भारत में आने दिया था और न अब आने दे रही है।

अमरीक सिंह लेखक, साहित्यकार हैं एक पुरानी कहावत हैः ‘राजघराने खत्म हो जाते हैं, लेकिन उनकी कहानियां रह जाती हैं…!’ विश्व प्रसिद्ध पत्रिका ‘टाइम’ ने बीती सदी की 100 प्रभावशाली महिलाओं की सूची में दो भारतीय महिला-शख्सियतों को शुमार किया है। एक हैं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और दूसरी राजकुमारी अमृत कौर। श्रीमती गांधी भारत

प्रत्यूष शर्मा लेखक, हमीरपुर से हैं सरदार पटेल जी को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री मोदी जी ने विभिन्न राज्यों को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोने के उद्देश्य से ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ अभियान शुरू किया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के सभी राज्यों को उनकी संस्कृति एवं इतिहास से जोड़ना है जिससे देश

कर्नल (रि.) मनीष धीमान स्वतंत्र लेखक होली का त्योहार सदियों की विदाई के रूप में जाना जाता है, पर इस बार हिमाचल में होली तो हो गई पर ठंड जाने का नाम नहीं ले रही है। जहां हिमाचल में मौसम सर्द हो रहा है वहीं देश में दिल्ली हिंसा, कोरोना वायरस, शेयर मार्केट का फिसलना,

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार अफजल को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी ठहराया और राष्ट्रपति ने क्षमा देने से इनकार किया। यह भारतीय नागरिक को न्याय देने का सर्वोच्च न्यायालय का मंच था, लेकिन अलगाववादियों ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। यदि लोकतंत्र में बहुमत का नियम चलता है, तो उन्होंने इसे स्वीकार

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक महाराजा लक्ष्मण सेन स्मारक महाविद्यालय के प्रशिक्षण केंद्र की नर्सरी से मुक्केबाजी प्रशिक्षक नरेश कुमार के प्रशिक्षण में अपनी ट्रेनिंग का श्री गणेश कर भिवानी व राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों से होते हुए संसार के सबसे बड़े खेल महाकुंभ तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं रहा है। पिता स्वर्गीय भगत

पूरन सरमा स्वतंत्र लेखक रामचरितमानस में तुलसीदास जी स्पष्ट रूप से कह गए हैं कि ‘दुष्ट संग नहीं देहि विधाता’, लेकिन किया क्या जा सकता है। दुष्टों की भरमार है। जहां जाओ वही इसी श्रेणी के लोगों की जमात बैठी हुई है। सज्जन का जीना मुहाल है और दुर्जन गुलाब जामुन खा रहे हैं। परेशान