वैचारिक लेख

जागरूक मतदाताओं को ऐसे नेताओं के चरित्र एवं इरादों को परखना होगा जिनमें दूरदृष्टि, विजन और सकारात्मक नजरिए की घोर कमी होती है और जिनका एकमात्र लक्ष्य जीतना भर होता है। ऐसे नेता चुनावी प्रबंधन की बैसाखियों के बलबूते सत्तासुख भोगते हैं...

इस बार उपचुनावों के परिणामों के रूप में प्रदेशवासियों द्वारा दिया जाने वाला संदेश न केवल प्रदेश को, बल्कि पूरे देश को एक नई दिशा दिखाने वाला हो सकता है। हिमाचल प्रदेश लगभग पूर्ण शिक्षित राज्य है और यहां के निवासी बुद्धिमान हैं और तर्कशील स्वभाव रखते हैं। हिमाचल प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टियां इस समय माहौल को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए एड़ी-चोटी

पड़ोसी चाहे मेरा हो या आपका, पड़ोसी का हंसना हर हाल में प्रलय लाता है। पड़ोसी की हंसी प्रलय से पहले की हंसी होती है। आदर्श पड़ोसी जब भी हंसते हैं, उनकी हंसी कहर बरपाती है। पड़ोस में नया बवंडर लाती है। आते ही वे मुस्कुराते बोले, मन से या मन से ये तो वे ही जाने, तुम्हारे लिए फूल लाया हूं। लाइफ टाइम फूल हैं। एक बार जो लग गए तो रात को भी मुस्कुराते रहेंगे। माफ करना! मैंने तु

पहली बात यह समझ लेनी है कि हमें समय का प्रबंधन नहीं करना है, बल्कि उपलब्ध समय के अनुसार अपना प्रबंधन करना है। दूसरी बात यह समझ लेनी चाहिए कि सीमित समय में आप जितने काम कर लेना चाहते हैं, वे कभी भी पूरी तरह समाप्त नहीं होंगे, इसलिए एक तरह के अधूरेपन को झेलने की, उसके साथ जीने की आदत आपको विकसित करनी ही होगी। तीसरी बात

साधो! चुनावों का शोर है। कलियुग घनघोर है। हो सकता है कि चुनावी मौसम होने के बाद भी आप मुझसे कहें कि हमने रसीदी टिकट तो देखा है, लेकिन चुनावी टिकट कभी नहीं देखा। तो मैं आपको बता दूँ कि बिना रसीद के चुनावी टिकट भी नहीं मिलता। रसीद पैसे की भी हो सकती है और ईमान बेचने की भी। यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि आप किस राजनीतिक दल का चुनावी टिकट किस तरह हासिल करते हैं। एक कहावत है कि राजनीति लुच्चों का खेल है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप लुच्चे होना चाहते हैं या नहीं। जो राजनीतिक दल भूखे-नंगे हो चुके हैं या कर दिए गए हैं, उनके कुछ राजनेताओं को

11 नवंबर 1849 ईस्वी को वजीर राम सिंह पठानिया सिर्फ 24 साल के थे, जब वह अपनी मातृभूमि की आजादी के लिए लड़ते हुए बलिदान हो गए। उनकी जयंती पर देश उन्हें नमन करता है...

अन्य राज्यों में भी शराब पर उच्च उत्पाद शुल्क लगाया जाता है और इसका उद्देश्य कभी भी बड़ा राजस्व कमाना नहीं होता। बहरहाल यह ठीक नहीं कि केजरीवाल राजनीतिक प्रतिशोध के शिकार हैं...

हमें यह ध्यान रखना होगा कि वर्ष 2047 तक देश को विकसित देश बनाने के लिए सरकार के द्वारा आम आदमी की प्रति व्यक्ति आय और खुशहाली बढ़ाने के लिए जो व्यय किए जाते हैं, वे उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जिस तरह सरकार के द्वारा बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश लाभप्रद होता है। उम्मीद है सरकार रणनीतिक रूप से कारगर प्रयासों की राह पर आगे बढ़ेगी..

पहली बार बुद्धिजीवी ने एक ऐसा परिंदा देखा जो वाकई पर नहीं मार रहा था। बुद्धिजीवी यह देख सोच में पड़ गया कि यह अपने पंख होते हुए भी आख्रिर उड़ क्यों नहीं पा रहा है, ‘यह जरूर किसी से टकराया होगा। कहां टकराया होगा। अदालत के दरवाजे या संसद के गुंबद से।’ देखने में परिंदा तंदरुस्त था। तरह-तरह की बोली बोल रहा था। हरकतें कर रहा था, लेकिन अपने पर नहीं खोल पा रहा था। पहली बार बुद्धिजीवी ने इनसान जैसी असमंजस किसी पक्षी में देखी। देश की असमंजस पक्षी पर इस