भूपिंदर सिंह

इसलिए हिमाचल में विद्यार्थी खिलाड़ी को स्कूल के बाद कालेज स्तर पर खेल विंग मिलना जरूरी हो जाता है… पिछले दो सालों से कोरोना के कारण जहां स्कूली खेल पूरी तरह बंद रहे, वहीं पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय व अन्य संस्थानों के विद्यार्थियों की खेल गतिविधियों आधी अधूरी खानापूर्ति के लिए तो हो गई थी।

प्रतिभा खोज के बाद पढ़ाई के साथ-साथ प्रशिक्षण के लिए अच्छी खेल सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान की तर्ज़ पर अपना राज्य क्रीड़ा संस्थान हो। वहां पर हिमाचल प्रदेश के खिलाडि़यों को वैज्ञानिक आधार पर लंबी अवधि के प्रशिक्षण शिविर लगें तथा प्रदेश के शारीरिक शिक्षकों तथा पूर्व राष्ट्रीय व

इस सबके लिए विद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों की सामान्य फिटनेस का मूल्यांकन कर उसमें सुधार के लिए सुझाव देकर सुधार करवाने के लिए ‘फिटनेस मूल्यांकन व सुझाव’ कार्यक्रम की शुरुआत जल्द ही करनी चाहिए। इस कार्यक्रम के अतंर्गत विद्यालय के हर विद्यार्थी का साल में तीन बार विभिन्न शारीरिक क्षमताओं का परीक्षण किया जाए… शिक्षा

पूरे संसार में जहां के खिलाड़ी श्रेष्ठ हैं वहां पर स्कूल व कालेज स्तर पर बहुत ही उत्तम खेल सुविधाएं मुहैया हैं। इस स्तर पर अगर हिमाचल प्रदेश में घटिया खेल सामान न खरीद कर उच्च क्वालिटी का खेल सामान खरीदा होगा तो स्तरीय खेल सुविधा होगी जिससे जहां जो खिलाड़ी प्रशिक्षण सुविधाओं के अभाव

हिमाचल प्रदेश सरकार का युवा सेवाएं एवं खेल विभाग अभी तक करोड़ों रुपए से बने इस खेल ढांचे के रखरखाव में नाकामयाब रहा है। उसके पास न तो चौकीदार हैं और न ही मैदान कर्मचारी, पर्याप्त प्रशिक्षकों की बात तो बहुत दूर की बात है। नई खेल नीति में लिखा है कि सरकार विभिन्न खेल

हिमाचल प्रदेश सरकार कब तक ऐसे उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले खेल छात्रावास खोलेगी या जो खेल छात्रावास चल रहे हैं, उनको उच्च स्तर तक विकसित करके वहां पर प्रतिभाशाली प्रशिक्षकों को अनुबंधित करें। उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए अनुभवी प्रवंधकों का होना भी जरूरी होता है। इसलिए जो उत्कृष्ट प्रदर्शन करवा सकते हैं, ऐसे हाई

युवावस्था में फिटनेस कार्यक्रम हर विद्यार्थी के लिए जरूरी है। सामान्य फिटनेस हर नागरिक को जरूरी है… पिछले दो वर्षों से भी अधिक समय से पूरा विश्व कोरोना महामारी के कारण अस्त-व्यस्त चल रहा है। इस वर्ष कोरोना से थोड़ी राहत मिलती नजर आ रही थी, मगर अब चीन व यूरोप में चौथी लहर शुरू

बिलासपुर हैंडबाल का शुरू से ही अच्छा केंद्र रहा है। बात चाहे हैंडबाल संघ संचालन की हो या प्रशिक्षण की, बिलासपुर का योगदान सबसे अधिक रहा है।  स्नेह व उसके पति सचिन चौधरी के निर्देशन में मोरसिंघी हैंडबाल अकादमी  राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही है। पिछले 2018 के एशियाड में

हजारों साल पहले भारतीय शोधकर्ताओं ने यौगिक क्रियाओं से होने वाले लाभों को समझ लिया था जो आज की चिकित्सा व खेल विज्ञान की कसौटी पर खरा सोना सिद्ध हो रहा है। इन नियमों का पालन करने के बाद अगर यौगिक क्रियाओं को किया जाता है तो मानव में शारीरिक व मानसिक स्तर पर आश्चर्यजनक