डा. अश्विनी महाजन, कालेज एसोशिएट प्रोफेसर

हमने मुफ्तखोरी के कारण वेनेजुएला, श्रीलंका, पाकिस्तान आदि कई देशों का हश्र देखा है। बढ़ते कुल कर्ज ने हमारी क्रेडिट रैंकिंग को प्रभावित किया है… हालांकि विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि मोदी काल में देश पर कर्ज बढ़ा दिया है। लेकिन यह

समझना होगा कि कच्चे घरों में रहने वाले और आवासविहीन लोगों का जीवन अत्यंत कष्टमयी होता है। उन्हें अपना शौचालय, पेयजल और कुल मिलाकर सम्मानित जीवन नहीं नसीब होता। पक्का घर और उसके साथ शौचालय और पेयजल, जिसकी व्यवस्था भी सरकार द्वारा साथ-साथ की जा रही है, देश में गरीबी की रेखा के नीचे रहने

यानी कहा जा सकता है कि पहले से ज्यादा पारदर्शी अर्थव्यवस्था, कालेधन पर लगाम, बैंकों की जमा में वृद्धि, राजस्व में वृद्धि आदि से अर्थव्यवस्था को सकारात्मक लाभ ही होंगे। कुछ अर्थशास्त्रियों का यह मानना है कि इससे भारत के बैंकों समेत वित्तीय संस्थानों में लगभग एक लाख करोड़ रुपए और जुड़ जाएंगे… आठ नवंबर

मोदी सरकार की यात्रा बहुत सहज नहीं थी, क्योंकि इसे भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन, कृषि कानूनों को लागू करने, विमुद्रीकरण, नागरिकता संशोधन अधिनियम पर अपने फैसले के विरोध का सामना करना पड़ा था… जब भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मई 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता संभाली, तो

जाहिर है कि इस युग में नीति निर्माताओं से अपेक्षा है कि वे सभ्य समाज के निर्माण की ओर आगे बढ़ें, जंगल राज की तरफ नहीं। भारत सरकार से अपेक्षा है कि वह इन ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के श्रमिकों यानी गिग श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा हेतु योजनाएं बनाए… हाल ही में ‘बलिंकिट’ नाम की एक ई-कॉमर्स

एक ऐसी कम्प्यूटर व्यवस्था जो तीव्र हो, जिसमें बहुआयामी प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जा सके, जो बिग डाटा को समाहित कर सके और सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जिसकी हैकिंग न हो सके, उसकी जरूरत महसूस की जा रही थी। ऐसे में क्वांटम फिजिक्स में हो रहे शोध और नवाचार से भारत अलग नहीं

समझना होगा कि लंबे समय तक कैश बर्निंग के आधार पर बिजनेस को आगे बढ़ाना और उसके लिए और अधिक निवेश प्राप्त करना आने वाले समय में कठिन होता जाएगा। कहा जा सकता है कि इस ‘कैश बर्निंग मॉडल’ को बाजार स्वीकार करने वाला नहीं है। यदि इन स्टार्टअप्स को भविष्य में अपने व्यवसाय को

देश में मैन्युफैक्चरिंग को बल देना होगा, लागतों को कम करना होगा और वर्तमान में इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण की गति को बरकरार रखना होगा। गौरतलब है कि वर्ष 2013-14 में भारत की अर्थव्यवस्था मात्र 2 खरब डॉलर से भी कम थी, जो अभी तक बढक़र 3.5 खरब डॉलर से ज्यादा हो चुकी है। वर्ष 2030 में

विश्व को डॉलरों की सत्ता से मुक्ति के बाद दुनिया में डॉलर की कीमत पर इसका प्रभाव अवश्य पड़ेगा। अब डॉलर की मजबूती की प्रवृत्ति पर भी कहीं न कहीं लगाम लगेगी। उसका फायदा दुनिया के तमाम मुल्कों को हो सकता है, जिनकी कैरेंसियां डॉलर के मुकाबले अब बेहतर हो सकेंगी। विश्व अब बदल रहा

ओएनडीसी को भी एक ऐसी प्रणाली के रूप में देखा जा रहा है जो उपभोक्ताओं के शोषण को रोक सकती है… एक दशक से अधिक समय से, ई-कॉमर्स में भारत और दुनिया में भारी वृद्धि देखने को मिली है। भारत में कुल खुदरा व्यापार का लगभग 6.5 प्रतिशत आज ई-कॉमर्स के माध्यम से होता है।