भरत झुनझुनवाला

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   वर्तमान समय में जो रुपए में गिरावट आ रही है इसका एक प्रमुख कारण तेल के बढ़ते आयात हैं। हमारी ऊर्जा की जरूरतें बढ़ रही हैं और तदानुसार हमें तेल के आयात अधिक करने पड़ रहे हैं। इस समस्या को और गहरा बना दिया है ईरान के विवाद ने।

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक इस नीति का मूल आधार यह है कि यदि भारत का वित्तीय घाटा नियंत्रण में रहेगा तो विदेशी निवेशकों को हमारी अर्थव्यवस्था पर भरोसा बनेगा, वे हमारे देश में उसी प्रकार निवेश करेंगे जिस प्रकार उन्होंने 80 और 90 के दशक में चीन में किया था। भारत में मैन्युफेक्चरिंग बढ़ेगी,

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक अधिकाधिक एक ही राज्य में बहने वाली दो नदियों को जोड़ने का छोटा मोटा प्रयास किया जा सकता है, लेकिन यह भी सही है कि यदि पंजाब में जल भराव हो रहा है और राजस्थान में सूखा आ रहा है तो देश के लिए यह लाभप्रद है कि पंजाब के

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक अर्थव्यवस्था के संकट में आने का पहला कारण सरकारी खपत में पर्याप्त कटौती का न होना है। सरकार द्वारा दो प्रकार के खर्च किए जाते हैं- चालू खर्च एवं पूंजी खर्च। इन दोनों का योग वित्तीय खर्च होता है। दोनों प्रकार के खर्च के योग यानी वित्तीय खर्च को पोषित

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक सुझाव है कि जवाबदेही बढ़ाई जाए। वर्तमान में सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही या तो मंत्रियों के प्रति होती है या सीएजी (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) के प्रति। यह जवाबदेही ठोस नहीं रहती है। अकसर मंत्री और अधिकारियों के बीच में एक अपवित्र गठबंधन होता है। ये मिलकर देश को लूटते

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक कांग्रेस की पालिसी का दूसरा हिस्सा उसी गरीब को रोटी बांटने का था, जिस रोटी को आर्थिक नीतियां छीन रही थीं। मनरेगा, खाद्य सुरक्षा एवं किसानों को ऋण माफी द्वारा किसान को राहत पहुंचाई जा रही थी, उसी तरह जैसे ईसा मसीह ने गरीबों को पनाह दी थी, लेकिन यह

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   चीन द्वारा 80 के दशक में लागू की गई आर्थिक विकास नीति को आज हम लागू नहीं कर पाएंगे। यही कारण है कि पिछले पांच सालों में मेक इन इंडिया सफल नहीं हुआ है और वर्तमान बजट में भी वित्त मंत्री द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आने का आह्वान करना

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   मनोविज्ञान में मनुष्य की चेतना के दो स्तर- चेतन एवं अचेतन बताए गए हैं। मनोविज्ञान के अनुसार यदि चेतन और अचेतन में सामंजस्य होता है, तो व्यक्ति सुखी होता है। उसे रोग इत्यादि कम पकड़ते हैं, लेकिन अर्थशास्त्र में चेतन एवं अचेतन का कोई विचार समाहित नहीं किया गया

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   वित्त मंत्री को चाहिए था कि देश में बढ़ते जल संकट को देखते हुए रिचार्ज वेल, जिसमें बरसात के पानी को सीधे भूगर्भीय जलाशयों में डाला जाता है, उसके लिए विशाल रकम उपलब्ध कराती। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ने कहा था कि देश में एक करोड़