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फ्रीवर्ग इंस्टीच्यूट आफ पेरासाइकोलोजी के अध्यक्ष परा मनोवैज्ञानिक प्रो. हांस बेंडर ने मामले की पड़ताल की और पाया कि मामला साइकोकाइनेसिस यानी मनोगति क्रम का है। मनोगति क्रम का अर्थ है, ऐसी सूक्ष्म मानसिक शक्तियां, जो भौतिक पदार्थों को नियंत्रित-निर्देशित कर सकें…  -गतांक से आगे… उनके घर में सफाई के बावजूद दुर्गंध आने, अल्मारी में

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे…      यदि जॉन वास्तव में जेन से प्रेम कर सकता है, तो वह उस क्षण पूर्ण हो जाएगा। उसकी सच्ची प्रकृति प्रेम है, वह अपने में पूर्ण है। जॉन को केवल जेन से प्रेम करने से ही योग की सब शक्तियां प्राप्त हो जाएंगी, चाहे उसे धर्म, मनोविज्ञान अथवा पुराण का

गतांक से आगे… नीला घना मेघ-नाद्रा मात्रा मुद्रा मिताऽमिता। ब्राह्मी नारायणी भद्रा सुभद्रा भक्त-वत्सला ।। 8।। माहेश्वरी च चामुण्डा वाराही नारसिंहिका। वङ्कांगी वङ्का-कंकाली नृ-मुण्ड-स्रग्विणी शिवा ।। 9।। मालिनी नर-मुण्डाली-गलद्रक्त-विभूषणा। रक्त-चंदन-सिक्ताङ्गी सिंदूरारुण-मस्तका ।। 10।। घोर-रूपा घोर-दंष्ट्रा घोरा घोर-तरा शुभा । महा-दंष्ट्रा महा-माया सुदंती युग-दंतुरा ।। 11।। सुलोचना विरूपाक्षी विशालाक्षी त्रिलोचना। शारदेंदु-प्रसन्नस्या स्पुरतः स्मेराम्बुजेक्षणा ।। 12।। अट्टहासा

इसरो के वैज्ञानिक एके गुप्ता का कहना है कि थार के रेगिस्तान में पानी का कोई स्रोत नहीं है, लेकिन यहां कुछ स्थानों पर ताजे पानी के स्रोत मिले हैं। जैसलमेर जिले में जहां बहुत कम बरसात होती है, यहां 50-60 मीटर पर भूजल मौजूद है…  गतांक से आगे… डैनिनो का कहना है कि करीब

ओशो शिक्षक बहुत से शोषणों का औजार रहा है। प्रत्येक पीढ़ी अपनी ईर्ष्याएं, अपने द्वेष, अपने वैमनस्य, अपनी शत्रुताएं, अपनी मूढ़ताएं सभी शिक्षक के द्वारा नई पीढ़ी को वसीयत में दे जाती है। अपने अनुभवों और ज्ञान के साथ ही साथ वे अपने रोग और जड़ताएं भी सौंप जाती हैं। हिंदू बाप अपने बच्चों को

*रात को सोते समय सात काली मिर्च और उतने ही बताशे चबाकर सो जाएं। बताशे न मिलें तो काली मिर्च व मिसरी मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसते रहने से बैठा गला खुल जाता है। *सोते समय एक ग्राम मुलहठी की छोटी सी गांठ मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहें। फिर मुंह में रखकर सो

इस प्रकार सबको छोड़कर कुशा की कूंची बनाकर तथा उसे भी घड़े में छोड़कर स्नान करके एक हजार बार मंत्र का जप करना आवश्यक है। अमावस्या के दिन सोमलता (छेउटा) की डाली से होम करने पर क्षय रोग का निवारण होता है…  -गतांक से आगे… सौवर्ण, राजत वापि कुंभ ताम्रमय च वा। मृनमय वा नवं

बाबा हरदेव भक्ति हमारे भीतर का एक भाव है, जिसे परमात्मा की ओर प्रवाहित करना ही ‘भक्ति’ है और ऐसा कर पाना केवल सद्गुरु की कृपा से ही संभव है। अतः तत्त्वज्ञानियों का कथन है कि जो भक्त, भक्ति की राह पर अपने को खोने की, अपने को डुबोने की और अपने को पूरा मिटाने

वेदाध्ययन विद्वानों का संग, धर्माचरण, यज्ञ,नाम स्मरण एवं अष्टांग योग की साधना इत्यादि अनेक शुभ कर्मों को करते हुए योगी यदि असंप्रज्ञात समाधि को प्राप्त कर लेता है तब वह मोक्ष का अधिकारी बनता है। चाहे वह उत्तरायण में,शुक्ल पक्ष आदि के समय में प्राण छोड़े चाहे दक्षिणायन कृष्ण पक्ष आदि के समय में प्राण