आस्था

बैसाखी पंजाब राज्य में सिख समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। देश-विदेश में बैसाखी के अवसर पर, विशेषकर पंजाब में मेले लगते हैं। लोग सुबह-सुबह सरोवरों और नदियों में स्नान कर मंदिरों और गुरुद्वारों में जाते हैं। लंगर लगाए जाते हैं और चारों तरफ लोग प्रसन्न दिखलाई देते हैं। विशेषकर किसान, गेहूं की

बैसाखी का पर्व सिख धर्म के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व रखता है। पंजाब में जब फसलों से हरे-भरे, झूमते लहलहाते खेतों में रबी की फसल पक कर तैयार हो जाती है,तो प्रकृति की इस देन का धन्यवाद करते हुए किसान खुशी से नाचते गाते हैं। लोकगीत और ढोल की थाप पर युवक-युवतियां पारंपरिक नृत्य,भांगड़ा

भारतीय संस्कृति में बैसाखी ऐसा महत्त्वपूर्ण त्योहार है, जिसका राष्ट्रीय चेतना, प्रकृति, इतिहास, जलवायु और कृषि के साथ गहरा जुड़ाव है। हरित क्रांति के पर्याय रूपी इस पर्व को सिर्फ  पंजाब के किसान ही नहीं मनाते, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी बैसाखी का त्योहार समान उत्साह से मनाया जाता है। पंजाब के किसान

कालाष्टमी अथवा काला अष्टमी का हिंदू धर्म में बड़ा ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान इसे मनाया जाता है। कालभैरव के भक्त वर्ष की सभी कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा और उनके लिए उपवास करते हैं। सबसे मुख्य कालाष्टमी, जिसे कालभैरव जयंती के नाम से जाना जाता

यूं तो हिमाचल प्रदेश में अनेक मंदिर हैं और यहां साल भर मेलों का दौर चला रहता है। उसी में से हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्घ धार्मिक तीर्थस्थल रिवालसर  में मनाए जाने वाले बैसाखी मेले का विशेष महत्त्व है… रिवालासर का बैसाखी मेला देश के उत्तरी हिस्से में काफी प्रसिद्ध है । मेले हमेशा से एकता

-गतांक से आगे… स्यमन्तकमणिप्राज्ञो विज्ञो विघ्नविघातकः। गोवर्धनो वर्धनीयो वर्धनी वर्धनप्रियः।। 66।। वर्धन्यो वर्धनो वर्धी वार्धिन्यः सुमुखप्रियः। वर्धितो वृद्धको वृद्धो वृन्दारकजनप्रियः।। 67।। गोपालरमणीभर्ता साम्बुकुष्ठविनाशनः। रुक्मिणीहरणः प्रेमप्रेमी चन्द्रावलीपतिः।। 68।। श्रीकर्ता विश्वभर्ता च नारायणनरो बली। गणो गणपतिश्चैव दत्तात्रेयो महामुनिः।। 69।। व्यासो नारायणो दिव्यो भव्यो भावुकधारकः। श्वः श्रेयसं शिवं भद्रं भावुकं भविकं शुभम।। 70।। शुभात्मकः शुभः शास्ता प्रशस्ता मेघनादहा।

12 अप्रैल रविवार, चैत्र , कृष्णपक्ष, पंचमी 13 अप्रैल सोमवार, वैशाख, कृष्णपक्ष, षष्ठी, बैसाखी  14 अप्रैल मंगलवार, वैशाख, कृष्णपक्ष, सप्तमी  15 अप्रैल बुधवार, वैशाख, कृष्णपक्ष, अष्टमी, कालाष्टमी 16 अप्रैल बृहस्पतिवार, वैशाख, कृष्णपक्ष, नवमी 17 अप्रैल शुक्रवार, वैशाख, कृष्णपक्ष, दशमी, पंचक प्रारंभ 18 अप्रैल शनिवार, वैशाख, कृष्णपक्ष, एकादशी, वरूथिनी एकादशी व्रत

मौजूदा वक्त में डायबिटीज की समस्या एक आम समस्या बन चुकी है, जिसके पीछे कहीं न कहीं बिगड़ता लाइफस्टाइल एक प्रमुख कारण है। वर्तमान समय में डायबिटीज से केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं और कम उम्र के लोग भी शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज एक ऐसी घातक स्थिति है, जिसमें शरीर भीतर से धीरे-धीरे

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव डायोजनेस एक अद्भुत एवं आनंद में रहने वाले भिक्षुक थे, वे ग्रीस में एक नदी किनारे रहते थे। किसी ने उन्हें एक सुंदर भिक्षापात्र दिया था और वे सिर्फ  एक लंगोट पहनते थे। वे मंदिरों के द्वारों पर भिक्षा मांगते थे और जो भोजन उन्हें मिलता था, वही खाते थे। एक दिन,