आस्था

 हनुमानजी के याद करते ही प्रभु राम तुरंत आ गए और हनुमानजी की अजीब अवस्था देखकर बोले, पवनसुत! क्या बात है? हनुमानजी ने अपने ऊपर आए हुए संकट का विवरण सुनाया और बोले, प्रभु आपके अजेय दास की दुर्दशा का क्या कारण है? जब श्रीराम प्रभु ने ध्यानपूर्वक देखा तो हनुमान जी की दुर्दशा का

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव  कोइर् भी इनसान भौतिक, आध्यात्मिक या किसी भी स्तर पर कितना आगे जा सकता है, यह बुनियादी तौर पर इस बात पर निर्भर करता है कि अपने भीतर मौजूद ऊर्जा की कितनी मात्रा वह इस्तेमाल कर सकता है। यहां बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनके पास काफी ऊर्जा है, लेकिन उनके भीतर

गतांक से आगे… इसीलिए श्रुति में उसे अव्याकृत कहा गया है। यह सत्ता निर्गुण ब्रह्म रूप होती है और उसी के लिए श्रुति में कहा है।  यतो वाचो निवर्त्तंते अप्राप्य मनसा सह। अर्थात उस सत्ता के विषय में वाणी और मन दोनों की बति रुक जाती है। उस निर्गुण ब्रह्म से पूर्व देश, काल, स्थूल,

 बाबा हरदेव जीवन में जो भी हमारे हैं यह रस के अनुभव हैं, चाहे यह अनुभव सौंदर्य के हों,चाहे प्रेम के हों, चाहे संगीत के हों। मानो जो भी हमारे अनुभव हैं वह रस के अनुभव हैं क्योंकि अनुभव रसरूप हैं या ऐसा कहें कि समस्त अनुभव का जो निचोड़ है, उसे हमारे ऋषि-मुनियों ने

उसका बाल सुलभ मन, उसका चंचलपन देखते ही बनता था। उसका शरीर सफेद फूलों की लता-सा डोल रहा था। डोलमा का कुछ पता न था। शायद वह किसी कार्य से बाहर चला गया था। कब समय बीत गया, कुछ पता न चला। जिसी ने रात की सारी व्यवस्था कर दी। रात हो गई। सबको नींद

15 दिसंबर रविवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, चतुर्थी, गणेश चतुर्थी व्रत 16 दिसंबर सोमवार, पौष, कृष्णपक्ष, पंचमी, पौष संक्रांति 17 दिसंबर मंगलवार, पौष, कृष्णपक्ष, षष्ठी 18 दिसंबर बुधवार, पौष, कृष्णपक्ष, सप्तमी 19 दिसंबर बृहस्पतिवार, पौष, कृष्णपक्ष, अष्टमी, रुक्मणि अष्टमी 20 दिसंबर शुक्रवार,पौष, कृष्णपक्ष, नवमी 21 दिसंबर शनिवार, पौष, कृष्णपक्ष, दशमी, पार्श्वनाथ जयंती

 सौंदर्य के क्षेत्र में शहनाज हुसैन एक बड़ी शख्सियत हैं। सौंदर्य के भीतर उनके जीवन संघर्ष की एक लंबी गाथा है। हर किसी के लिए प्रेरणा का काम करने वाला उनका जीवन-वृत्त वास्तव में खुद को संवारने की यात्रा सरीखा भी है। शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करीमबॉय ने अपनी मां को समर्पित करते हुए

*            झुको उतना जितना सही हो, बेवजह झुकना दूसरे के अहम को बढ़ावा देना है *           मकड़ी भी नहीं फंसती अपने बनाए हुए जालों में, जितना आदमी  उलझा है अपने बुरे ख्यालों में *           जो दूसरों पर नियंत्रण करता है वह शक्तिशाली होता है, लेकिन जो खुद पर नियंत्रण करता

कालांतर में वह आकांक्षा उसे स्वयं नर के रूप में परिणत कर सकती है। इसी प्रकार कोई नर यदि नारी के चिंतन और सान्निध्य में अतिशय रुचि लेता है तो उसकी चेतना नारी वर्ग में परिणत होने लगेगी और वह उस प्रवृत्ति की तीव्रता के अनुरूप देर में या जल्दी लिंग-परिवर्तन कर लेगा। इसमें एकाध