आस्था

स्वामी रामस्वरूप प्रथम तीन अवस्थाओं में योग की शिक्षा अथवा विद्या नहीं दी जा सकती क्योंकि चित्त की यही तीन अवस्थाएं मुख्यतः सांसारिक विषयों अर्थात माया में लिप्त रहती हैं। रजोगुण युक्त संसारी पदार्थों में भटकता चित्त क्षिप्त अवस्था में, तमोगुणी पुरुषार्थहीन मूढ़ अवस्था में तथा सांसारिक इच्छाएं पूर्ण न होने पर जो विक्षेप होता

खून में यूरिक एसिड की मात्रा का बढ़ना जोड़ों व किडनी पर भारी पड़ता है। अच्छी बात यह है कि शुरुआती स्तर पर खान-पान और जीवनशैली में सुधार करके ही इसे ठीक किया जा सकता है। यूरिक एसिड शरीर में बनने वाला एक रसायन है, जो पाचन प्रक्रिया के दौरान प्रोटीन के टूटने से बनता

गतांक से आगे…  धर्म-प्रेरणा से मनुष्यों ने संसार में जो खून की नदियां बहाई हैं, मनुष्य के हृदय की और किसी प्रेरणा ने वैसा ही किया और धर्म-प्रेरणा से मनुष्यों ने जितने चिकित्सालय , धर्मशाला, अन्न-क्षेत्र आदि बनाए, उतने  और किसी प्रेरणा से नहीं। मनुष्य हृदय की और कोई वृत्ति उसे सारी मानव जाति की

श्रीश्री रविशंकर अध्यात्म के मार्ग पर तीन कारक हैं। पहला बुद्ध, सद्गुरु या ब्रह्मज्ञानी का सान्निध्य, दूसरा संघ-संप्रदाय या समूह और तीसरा धर्म तुम्हारा सच्चा स्वभाव। जब इन तीनों का संतुलन होता है, तब जीवन स्वाभाविक रूप से खिल उठता है। बुद्ध या सद्गुरु एक प्रवेश द्वार की तरह हैं। मानो तुम बाहर रास्ते पर

ओशो जब तुम चिंता अनुभव करो, बहुत चिंताग्रस्त होओ, तब इस विधि का प्रयोग करो। इसके लिए क्या करना होगा? जब साधारणतः तुम्हें चिंता घेरती है तब तुम क्या करते हो? सामान्यतः क्या करते हो? तुम उसका हल ढूंढते हो, तुम उसके उपाय ढूंढते हो, लेकिन ऐसा करके तुम और भी चिंताग्रस्त हो जाते हो,

श्रीराम शर्मा संसार एक शीशा है। इस पर हमारे विचारों की जैसी छाया पड़ेगी, वैसा ही प्रतिबिंब दिखाई देगा। विचारों के आधार पर ही संसार सुखमय अथवा दुखमय अनुभव होता है। पुरोगामी उत्कृष्ट उत्तम विचार जीवन को ऊपर उठाते हैं। मनुष्य का जीवन उसके विचारों का प्रतिबिंब है। सफलता-असफलता, उन्नति, अवनति, तुच्छता, महानता, सुख-दुःख, शांति-अशांति

भगवती की उपासना के लिए ‘सौंदर्य लहरी’ आद्यशंकराचार्य का साधकों को दिया गया अप्रतिम उपहार है। वाह्य रूप से देखें तो यह एक निष्पाप हृदय द्वारा भगवती की उपासना प्रतीत होती है। गहराई में विचार करने पर साधकों को यह तंत्र के गुह्य रहस्यों का संचय प्रतीत होती है। अपनी काव्यात्मकता के लिए सौंदर्य लहरी

महेश योगी भावातीत ध्यान एक सरल, सहज, प्रयासरहित एवं अद्वितीय वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित ध्यान की तकनीक है, जो मन को शुद्ध चेतना अनुभव करने एवं एकात्म होने के लिए स्थिर करती है एवं स्वाभाविक रूप से विचार के स्रोत, मन की शांत अवस्था, भावातीत चेतना, शुद्ध चेतना,  आत्म परक चेतना तक पहुंचाती है, जो

आज हम सनातन के आधार पर खड़ी व्यवस्थाओं को देखते हैं और उसकी तुलना में सेमेटिक मूल्यों पर आधारित संस्थाओं को देखते हैं तो उनके विरोध के कारण और परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ते हैं। इन विरोधों को समझने के लिए विद्वता की आवश्यकता नहीं है, मात्र व्यवहार दृष्टि पर्याप्त है… भारतवर्ष की भौगोलिक