संपादकीय

कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत अपनी विशेष विवेकाधीन शक्तियों का इस्तेमाल किया, नतीजतन भाजपा नेता येदियुरप्पा कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बने हैं। सरकारिया आयोग की रपट, जिसका सम्मान संसद और सर्वोच्च न्यायालय दोनों ही करते हैं, के मुताबिक सबसे बड़े दल के नेता को आमंत्रित किया गया और

हिमाचल के कितने प्रश्न हल हो गए, इसका जवाब नए सवालों को जन्म दे रहा है। बेशक प्रगति की दहाड़ में पर्वत ने पूरे देश को बहुत कुछ बताया है और खुद को साबित करने की परीक्षा में हिमाचल के नाम अग्रणी पर्वतीय प्रदेश का मजबूत तमगा है, फिर भी राज्य को स्वयं से पूछना

कर्नाटक के जनादेश का 2019 के लोकसभा चुनाव की संभावनाओं पर क्या असर पड़ेगा? यह सवाल बीते कल हमने छोड़ दिया था। दरअसल कर्नाटक की स्थानीय राजनीति और दांव-पेंच का विश्लेषण जरूरी था। महज सत्ता में आने के लिए कांग्रेस ने जद-एस को समर्थन दिया है। यह चुनाव-पूर्व का गठबंधन नहीं है। यदि यह गठबंधन

सुशासन का विश्वास अर्जित करने की मेहनत करते हुए हिमाचल सरकार ने पुनः पत्ते फेंट दिए। यह सत्ता का अधिकार है और करिश्मा दिखाने का सियासी अवतार भी, जो हर बार केंचुली की तरह बदल जाता है। अंततः लोकतंत्र की भारतीय पद्धति में प्रशासन के मायने राजनीतिक बंदोबस्त की खुमारी में देखे जाते हैं, तो

कर्नाटक में प्रधानमंत्री मोदी का ‘पीपीपी’ का सपना साकार हो सकता है। पराजय के बाद कांग्रेस दो राज्यों-पंजाब और मिजोरम तथा एक संघशासित क्षेत्र पुडुचेरी तक सिमट कर रह सकती है। साफ है कि देश ‘कांग्रेसमुक्त’ हो रहा है। कर्नाटक के चुनाव ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को

सामाजिक जवाबदेही का अलख जगाकर शिक्षा विभाग का परियोजना निदेशालय अगर व्यापारिक-औद्योगिक घरानों के पास जाना चाहता है, तो दायित्व के पालने निश्चित रूप से बड़े हो जाएंगे। गरीब व वंचित परिवारों के बच्चों को शिक्षा का ऐसा पालना चाहिए, जो सामाजिक संवेदना की जागीर सरीखा हो। इस अनूठे अभियान का लक्ष्य मजदूरों के बच्चों

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अचानक जो खुलासे किए हैं, वे परोक्ष रूप से पाकिस्तान के कबूलनामे ही हैं। नवाज करीब 9 महीने पहले तक पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम ही थे। मुंबई के 26/11 आतंकी हमले पर भारत सरकार ने जितने भी डोजियर पाकिस्तान की हुकूमत को सौंपे थे, नवाज उनके ब्योरों को बिंदु-दर-बिंदु

डूब चुकी नैया की पतवारों का संरक्षण, उन लहरों का हवाला है, जिनसे मुकाबिल रहे हैं तहजीब के पैगंबर। इनसानी फितरत का अपने ही चिन्हों से द्वंद्व और क्या होगा, जब ग्रीष्मकाल में बिलासपुर और पौंग का सूखता जल उन बस्तियों की आह उकेर देता है, जो कभी विस्थापन के जलाशय में डूब गईं। आज

कर्नाटक में 70 फीसदी से ज्यादा मतदान एक सकारात्मक लोकतंत्र का संकेत है, लेकिन त्रिशंकु जनादेश के जो संकेत सामने आए हैं, वे नकारात्मक हैं। कर्नाटक ऐसे जनादेशों वाला राज्य नहीं है। बेहद वैज्ञानिक और आधुनिक राज्य है। सूचना प्रौद्योगिकी का अंतरराष्ट्रीय केंद्र है। कर्नाटक ऐसा राज्य है, जिस पर कोई भी देश गर्व कर