संपादकीय

कर्नाटक में चुनाव प्रचार समाप्त हो चुका है। जब आप यह संपादकीय पढ़ रहे होंगे, तब कर्नाटक में मतदान जारी होगा। जनादेश 15 मई को सार्वजनिक होना है। कांग्रेस ने 1984 में लोकसभा में 400 से ज्यादा सीटें जीती थीं और राजीव गांधी के प्रधानमंत्री पद को स्थायित्व दिया था। ऐतिहासिक जीत के कुछ दिनों

अभी तक तो पत्थरबाज सैनिकों और सुरक्षा बलों को ही निशाना बनाते थे। मासूम स्कूली बच्चों पर भी पथराव किया गया था। अमरनाथ यात्रियों को भी नहीं बख्शा गया, लेकिन अब उन्होंने सैलानी की हत्या करके न सिर्फ अपनी ‘रोटी’ पर प्रहार किया है, बल्कि पर्यटन की जीवन-रेखा को भी अवरुद्ध करने की कोशिश की

हिमाचल में अगर पानी अमृत नहीं रहेगा, तो कसूरवार होने की वजह हमारे वजूद में है। आईपीएच महकमे के लिए पुनः गर्मियों की शुरुआत जिस निकम्मेपन से हुई, उसका एक चित्रण शिमला के सूखे कंठ और दूसरा धर्मशाला की प्यास बुझाती परियोजना की बीमारी में दर्ज हो रहा है। अगर इन दोनों तथाकथित स्मार्ट शहरों

निवेश के बाजार में हिमाचली भरोसे की सौगात लेकर प्रदेश सरकार हाजिर है। विद्युत उत्पादन की क्षमता के सदुपयोग में सरकार की सद्भावना का जोरदार प्रयास नई ऊर्जा नीति में परिलक्षित हुआ है। वास्तव में निवेश के लिए जिस प्रकार की छूट अभिलषित है, उसके करीब पहुंचते हुए जयराम सरकार ने पूरे अभियान को आगे

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पहली बार प्रधानमंत्री बनने का दावा किया है। वह आश्वस्त हैं कि 2019 में प्रधानमंत्री मोदी चुनाव नहीं जीत पाएंगे, यह उनके चेहरे पर भी साफ झलकने लगा है। लेकिन राहुल खुद के प्रधानमंत्री बनने को लेकर भी भरोसेमंद नहीं हैं। पत्रकारों के सवालों पर उन्होंने जवाब दिया कि यदि

फिर किसान-बागबान बेबस और आम नागरिक आकाशीय मुद्रा के सामने वक्त के अनूठे अंक गणित में मौसम को कोस रहा है। अपने अतीत के चक्र से बेखबर मौसम का हिमाचली अंदाज इनसानी अस्तित्व की अनिश्चितता से जोड़ने की कसरत भर नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन का जबरदस्त पैगाम बन चुका है। हिमाचल में मई का महीना,

कटघरे में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी पांच साला कर्नाटक सरकार होनी चाहिए। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हैं। जनादेश कांग्रेस सरकार के कार्यक्रमों के पक्ष या विपक्ष में दिया जाना है। सवाल बार-बार होना चाहिए कि 3500 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या क्यों की? कर्नाटक सरकार ने किसानों के कर्ज माफ  क्यों नहीं किए और उनकी

बात पुनः राजनीति के आसपास खड़े अपराध की होगी, जो हिमाचल को अपमानित कर रही है। कसौली से चंद किलोमीटर दूर फिर बंदूक गूंजी और विधायक के भाई के खून से लथपथ इबारत में अपराध ने अपना मकसद लिख दिया। जमीनी झगड़े के दायरे में इसकी वजह तलाशी जा सकती है, लेकिन हिमाचल में सियासी

भारतीय सेना के ‘आपरेशन आल आउट’ के तहत अंततः बड़ी कामयाबी हासिल हुई है, तब हिजबुल मुजाहिदीन के ‘पोस्टर ब्वाय’ आतंकी बुरहान वानी का लगभग पूरा गिरोह ही ढेर कर दिया गया है। इस गिरोह का मौजूदा ‘पोस्टर ब्वाय’ एवं कश्मीर में हिजबुल का शीर्ष कमांडर सद्दाम पैडर भी मारा गया। कश्मीर विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र