संपादकीय

किसान आंदोलन लगातार उग्र और व्यापक होता जा रहा है। अब यह चिंगारी पंजाब और हरियाणा तक भी पहुंच चुकी है। ये दोनों राज्य खेती और खाद्यान्न के गढ़ माने जाते रहे हैं, लिहाजा उन्हें देश में ‘अन्नदाता’ की उपमा भी हासिल है। हरियाणा के कांग्रेसी किसान प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के

तांगी संगम पर तैयार हो रहा पर्यटन अपने साथ कई धाराएं भी लेकर चल रहा है। लगातार दूसरी बार लाहुल-स्पीति के सर्द मरुस्थल ने अपनी हिफाजत में जो वीआईपी मार्ग बनाया उस पर पर्यटन का रोडमैप, देश के पर्यटन मंत्री डाक्टर महेश शर्मा स्वयं चिन्हित कर रहे हैं। यह आने वाले कल को तसदीक करता

कांग्रेस के दो बार लोकसभा सांसद रहे संदीप दीक्षित ने देश के सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत पर जो टिप्पणी की है,उसकी सीधी-सपाट व्याख्या है कि वह जनरल को ‘सड़क का गुंडा’ करार दे रहे हैं। संदीप दिल्ली की 15 सालों तक मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के बेटे हैं। एक पुराने कांग्रेसी, संभ्रांत परिवार से

चुनावी हाजिरी में हिमाचल भाजपा का संकल्प हर दिन एक नया आगाज है और इसी परिप्रेक्ष्य में शिमला नगर निगम चुनाव अब सियासी तूफान का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बन रहा है। शिमला के मुद्दों के मायने समझते हुए भाजपा ने जो चुनावी चित्रण किया है, उससे हटकर उम्मीदवारों के अपने चरित्र का चित्रण भी रहेगा।

बीते कल एनडीटीवी चैनल के चेयरमैन प्रणय राय और प्रेस की आजादी के अंतर्विरोधों पर हमने लिखा था, लेकिन प्रेस की आड़ में काले धंधे करने वालों, घोटालेबाजों और हत्यारों की भी एक लंबी सूची है। उनमें ज्यादातर आज भी जेल में हैं। जब उन्होंने अपराध किए, घोटालों में शामिल रहे, कुकर्मों की एक पूरी

इधर प्रेस की आजादी पर बहस छिड़ी है, लेकिन प्रेस में ही असहमतियां हैं। कई अंतर्विरोध भी हैं। फिलहाल संदर्भ एनडीटीवी चैनल के प्रोमोटर प्रणय राय और उनकी पत्नी राधिका राय का है। सीबीआई ने उनके आवास और कुछ अन्य जगहों पर छापे मारे थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी धन शोधन कानून के तहत

चुनाव के उज्ज्वल इरादों की तस्वीर लगातार साफ हो रही है और इसी के परिप्रेक्ष्य में दो सरकारों की पेशकश में हिमाचल अपना भविष्य देख रहा है। सक्रियता के सिलसिलों में दिल्ली की दूरियां निरंतर घट रही हैं, तो भाजपा का दिल हिमाचल पर पूरी तरह आ गया है। जाहिर है केंद्र सरकार की अपनी

किसान आंदोलन पर प्रधानमंत्री मोदी फिलहाल चुप हैं। हालांकि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर एकदम ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया देने और ‘मन की बात’ कहने में प्रधानमंत्री हमेशा अग्रणी रहे हैं। किसान आंदोलन अभी शांत नहीं हुआ है, बल्कि पंजाब और कर्नाटक से कुछ आवाजें उभरना शुरू हो गई हैं। पंजाब तो अन्नदाता का गढ़ रहा

यह भारतीय किसान का कौन-सा रूप है? सांस्कृतिक और मानसिक तौर पर शांतिप्रिय किसान आज इतना उग्र और हिंसक क्यों है? हमने कई किसान आंदोलन बड़े करीब से देखे हैं। किसानों पर गोलियां, कांग्रेस सरकारों के दौरान, कई बार चलाई गई हैं। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में पुलिस ने गोलियां चलाईं और 6 किसानों