भरत झुनझुनवाला

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक सरकार को उत्तराखंड में गंगा पर बन रही तीन जल विद्युत परियोजनाएं सिंगोली भटवारी, तपोवन विष्णुगाड और विष्णुगाड पीपलकोटी को तत्काल निरस्त कर देना चाहिए था। साथ-साथ गंगा पर जहाज चलाने की पालिसी को त्याग देना चाहिए था। विकसित देशों का गंगा पर अनुसरण नहीं करना चाहिए, चूंकि वहां नदी

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक किसान की आय बढ़ाने के लिए फसलों के उत्पादन और मूल्य को बढ़ाने की नीति घातक है, चूंकि देश के पास इतना पानी ही नहीं है। अतः हमें उत्पादन घटाकर किसान की स्थिति में सुधार लाना होगा। इसके लिए हर किसान, चाहे वह युवा हो या वृद्ध, उसे एक निश्चित

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक इन नियमों में कहा गया कि जितने भी पर्यावरणीय दुष्प्रभाव होते हैं, उनका आर्थिक मूल्य निकालकर जोड़ा जाना चाहिए, लेकिन पर्यावरण मंत्रालय ने इंस्टीच्यूट और फोरेस्ट मैनेजमेंट के इन सुझावों को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इस प्रकार आज देश में स्थापित होने वाली तमाम परियोजनाओं के समग्र लाभ-हानि का

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक अपने देश में वैज्ञानिकों के वेतन न्यून हैं। अतः नई तकनीकों का आविष्कार करने में भारत में लागत कम आएगी। समस्या यह है कि हमारी शोध संस्थाएं लचर हैं। हमारे वैज्ञानिक विदेश में जाकर अच्छा काम करते हैं और अपने देश में उन्हें अनुकूल वातावरण नहीं मिलता है कि वे

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक वर्तमान पालिसी में जो परिवर्तन किए गए हैं इनको लागू करने और इनके उल्लंघन के ऊपर कार्रवाई करना आगे को खिसका दिया गया है। वेंडर्स एसोसिएशन के अनुसार सरकार की पालिसी यह है कि ई-कामर्स कंपनियों द्वारा जो देश के कानून का उल्लंघन अब तक किया गया है, उसके ऊपर खामोशी बनाए रखो

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक 1995 में जब डब्लूटीओ संधि बनाई गई उस समय अमरीका में तमाम एकाधिकार वाले उत्पादों का आविष्कार हो रहा था। इंटरनेट के राउटर, बिजली से चलने वाली कारें तथा अन्य तमाम नए हाईटेक उत्पाद अमरीका में बन रहे थे। इनका अमरीका ऊंचे दाम पर निर्यात कर रहा था और विश्व

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक अब जीएसटी तो लागू हो ही गया है, अब इसकी भर्त्सना मात्र करने का कोई औचित्य नहीं है। उपाय यह है कि छोटे उद्योगों को कंपोजीशन स्कीम में इनपुट पर अदा किए गए जीएसटी का रिफंड लेने की सुविधा दे दी जाए। उपरोक्त उदाहरण में छोटा उद्यमी जो बिना छपे

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक हमें गेहूं और चीनी जैसे न्यून कीमत के कृषि उत्पादों के स्थान पर उच्च कीमत के कृषि उत्पादों की तरफ बढ़ना चाहिए। भारत के पास हर प्रकार की जलवायु उपलब्ध है और हम अंगूर, ट्यूलिप, जैतून, तरबूज और टमाटर सभी की खेती आसानी से कर सकते हैं। हमें अपने किसानों

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं एनडीए सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया है। इसलिए देश की नदियों का भविष्य संकट में ही दिख रहा है। हाल ही में आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (ज्ञानस्वरूप सानंद) ने 111 दिन निराहार रह कर तपस्या कर शरीर छोड़ दिया। लेख लिखते समय संत