पीके खुराना

एक ऐसे विद्यार्थी ने वह कर दिखाया जो खुद अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सका था। मनीराम शर्मा, चूनाराम या अश्वनी गर्ग में से कोई भी अभिनेता नहीं है, लेकिन ये हमारे जीवन के असली हीरो हैं, सचमुच के प्रेरणा स्रोत हैं। हम सब इनके जीवन से, संघर्ष से, साहस और दृढ़ निश्चय से बहुत

पारदर्शिता और जवाबदेही की प्रक्रिया तय की जानी चाहिए, सिस्टम बनना चाहिए ताकि संबंधित अधिकारियों के लिए उस सिस्टम के अनुसार काम करना आवश्यक हो जाए और भ्रष्टाचार पर रोकथाम की शुरुआत हो सके। प्रक्रिया और सिस्टम के अभाव में ही हम भ्रष्ट जीवन जीने को विवश हैं, अब इससे मुक्ति की आवश्यकता है। इस

बिल गेट्स और मिलिंडा गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट जैसी दैत्याकार कंपनी का नेतृत्व किया है। लोगों को समझना और उन्हें अपनी बात समझाना उन्हें खूब आता है। इसके बावजूद वे अपने जीवन साथी को ही अपनी बात नहीं समझा पाए। इसका एक बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक कारण है। जब हम अपने किसी कर्मचारी से बात करते हैं

तकनीकी और कार्पोरेट जगत में जिसे बंडल और अनबंडल कहा जाता है, उसी के प्रयोग से रोज़गार के नए अवसर ढूंढ़ना बिलकुल संभव है। उदाहरण के लिए हिंदी का जानकार एक पंजाबी भाषी व्यक्ति हिंदी से पंजाबी में और पंजाबी से हिंदी में अनुवाद के अवसर ढूंढ़ सकता है। कल्पनाशक्ति के प्रयोग से हम ऐसे

यह कोई मज़ाक़ नहीं है। यह एक गंभीर मुद्दा है। लेकिन हम हैं कि इसे समझने की कोशिश से भी इंकार करते हैं। विषय की गहराई में जाए बिना हम सिर्फ  कुछ उदाहरणों से प्रभावित होकर मन बना लेते हैं और फैसले ले लेते हैं। अपने संविधान और अमरीकी संविधान की तुलना में, अपने देश

विभिन्न संशोधनों के बाद हमारे संविधान में ऐसी खामियां आ गई हैं कि यदि प्रधानमंत्री के पास संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत हो और आधे राज्यों में उनकी समर्थक सरकारें हों तो वे चाहें तो सुप्रीम कोर्ट को हमेशा के लिए ख़त्म कर दें, चुनाव आयोग को ख़त्म कर दें, संसद को ख़त्म

कोविड वैक्सीन का पहला डोज़ लेने के बाद शुरू के 15 दिन बहुत सावधानी के दिन हैं क्योंकि तब हमारा इम्यून सिस्टम बहुत कमज़ोर होता है और जरा सी असावधानी से हम कोविड या किसी अन्य वायरस के शिकार हो सकते हैं। इस दौरान बार-बार पानी पीना, हाथ धोना, भीड़ से बचना आदि सावधानियां आवश्यक

अक्सर हम पूरी स्थिति समझे बिना फटाफट सलाह देने पर उतारू हो जाते हैं। उससे बात बिगड़ जाती है। हम सामने वाले का भला चाहते हैं, लेकिन हम इस ढंग से काम नहीं करते कि हमारा रुख उसे पसंद आए। यही स्थिति तब होती है जब हम अपनी कोई बात किसी को समझाना चाहें, मनवाना

मोदी सरकार ने समाज के एक वर्ग पर अघोषित आपातकाल लगा रखा है। यह एक प्रकार की सेक्शनल इमर्जेंसी है जिसमें कानून और सर्वोच्च न्यायालय तक को अमान्य किया जा रहा है। असहमति जताने वाले लोगों को जेलों में डाला गया है। भ्रष्टाचार निरोध के मामले में भी ऐसा ही है। सिर्फ विरोधी दलों के