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भारत के आधे से अधिक एमएसएमई अन्य देशों के एमएसएमई की तरह तकनीक का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं, परिणामस्वरूप वे अब भी परंपरागत तरीके से कारोबार कर रहे हैं। इससे उनकी उत्पादकता कम होती है और लागत अधिक लगती है। ऐसे में नए बजट में सरकार की तरफ  से तकनीक की सुविधा मुहैया होने

बा़गवानी ने हिमाचल को अग्रणी प्रदेश बनाने में अहम भूमिका निभाई है। आज बा़गवानी राज्य के आर्थिक विकास में सालाना करीब 3,300 करोड़ रुपए का भारी योगदान देती है… 25 जनवरी, 1971 को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने के पचास वर्षों के  दौरान हिमाचल प्रदेश ने जिस तरह जीवन के हर क्षेत्र में समग्र

सज्जाद गनी लोन कश्मीर घाटी के राजनीतिक दलों में से पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अब्दुल्ला परिवार और सैयद परिवार को चुनौती देते हुए 2014 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी से समझौता ही नहीं किया था, बल्कि नरेंद्र मोदी का स्वागत भी किया था। पीडीपी-भाजपा के गठबंधन की सरकार में पीडीपी ने उन्हें मंत्री बनाने

प्रदेश 60 से अधिक देशों को प्रतिवर्ष लगभग 10000 करोड़ रुपए का निर्यात करता है, जो कि एक उपलब्धि है। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में वर्ष 2014-15 से सारे देश में व्यापार में सुगमता लाने का दौर शुरू हुआ। इस क्षेत्र में भी प्रदेश की प्रगति सराहनीय रही है। प्रारंभ में प्रदेश 17वें स्थान पर

यह उस देश के लिए लज्जाजनक है जिसका प्रधानमंत्री काफी लोकप्रिय है तथा जिनका सम्मान दुनियाभर में भी किया जाता है। मेरे विचार में अब विकल्प यही है कि संविधान के मुताबिक कार्रवाई की जाए। संविधान के अनुसार कानून-व्यवस्था तथा कृषि जैसे विषय विभिन्न सरकारों के अधीन आते हैं। अगर केंद्र सरकार ने समवर्ती सूची

केंद्र व केरल सरकार की तर्ज पर प्रशिक्षकों को भी खिलाड़ी की तरह नगद ईनामी राशि व अवार्ड मिलना चाहिए। आप हर विद्यार्थी को फिटनेस के लिए खेल मैदान में ले जाएंगे, उनमें से जरूर कुछ अच्छे खिलाड़ी भी मिलेंगे। प्रतिभा खोज के बाद पढ़ाई के साथ-साथ प्रशिक्षण के लिए अच्छी खेल सुविधाएं मुहैया कराई

देश को गरीबी के गर्त से निकालने के लिए यह आवश्यक है कि बचपन से ही बच्चों को उद्यमिता का पाठ पढ़ाया जाए, उद्यमिता के गुरों की जानकारी दी जाए, प्रतियोगिता को समझने और प्रतियोगिता के बावजूद अपने लिए नई पोज़ीशनिंग ढूंढने की कला किसी व्यवसाय की सफलता की गारंटी है। सवाल सिर्फ  यही है

सरकार से तो यही अपेक्षा है कि जिला के खाली पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए, विशेषकर शिक्षा, कृषि, बागवानी, चिकित्सा विभागों में… आकांक्षी जिला चंबा हिमाचल का सबसे पिछड़ा जिला है। हिमाचल में क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा जिला होने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। रावी, स्यूहल, चक्की,

जाहिर है भारत इस पहलू में भी काफी पीछे है। भारत में जो स्कूल हैं, उनकी ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, फिनलैंड आदि के स्कूलों से तुलना नहीं की जा सकती। भारत को अभी शिक्षा पर बहुत ज्यादा निवेश करने की आवश्यकता है। अगर शिक्षा में निवेश नहीं बढ़ता है तो इस क्षेत्र में भारत पिछड़