आस्था

कुछ तिथियां इतनी महत्वपूर्ण  बन जाती हैं कि वह आगे आने वाले समाज को न सिर्फ निरंतर प्रभावित करती रहती हैं, बल्कि आत्म अवलोकन एवं आत्मनिरीक्षण करते हुए मानवता के प्रति अपने दायित्वों का भी  बोध कराती रहती हैं। 11 सितंबर कुछ उन्हीं विशिष्ट तिथियों में से एक है। सन् 1893 में इसी दिन स्वामी

इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है, इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर अथवा गोल्डन टेंपल के नाम से भी जाना जाता है। यूं तो यह सिखों का गुरुद्वारा है, लेकिन इसके नाम में मंदिर शब्द का जुड़ना यह स्पष्ट करता है कि भारत में सभी धर्मों को एक समान माना जाता है… भारत

गुरुओं, अवतारों, पैगंबरों, ऐतिहासिक पात्रों तथा कांगड़ा ब्राइड जैसे कलात्मक चित्रों के रचयिता सोभा सिंह भले ही पंजाब से थे, लेकिन उनका अधिकतर जीवन अंद्रेटा (हिमाचल) की प्राकृतिक छांव में सृजनशीलता में बीता। इन्हीं की जीवनी और उनके विविध विषयों पर विचारों को लेकर आए हैं प्रसिद्ध लेखक डॉ, कुलवंत सिंह खोखर। उनकी लिखी पुस्तक

शक्ति उपासकों में नवार्ण मंत्र को सर्वाधिक शक्तिशाली और संपूर्ण माना जाता है। इस मंत्र में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती, तीनों देवियों की शक्तियों का समन्वय हुआ है। संभवतः इसी कारण नवार्ण मंत्र का जाप करने वाले साधकों को प्रभुत्व, विद्या और लक्ष्मी सभी की प्राप्ति होती है और जीवन में एक उत्कृष्ट कोटि का

अगर आपको अपने आस-पास के हर इनसान में बहुत सारी कमियां दिखती हैं, तो दरअसल आप ही पूरी तरह गलत हैं क्योंकि आपने जीवन की प्रकृति को नहीं समझा है। आप परफेक्शन की तलाश कर रहे हैं, लेकिन परफेक्शन का मतलब मृत्यु है। इनसान सिर्फ अपनी मृत्यु में ही परफेक्ट हो सकता है। जीवन में

गतांक से आगे… नारद पुराण- छठा पुराण है नारद पुराण। इसमें 25000 श्लोक हैं तथा इस के दो भाग हैं। इस ग्रंथ में सभी 18 पुराणों का सार दिया गया है। प्रथम भाग में मंत्र तथा मृत्यु पश्चात के क्रम आदि के विधान हैं। गंगा अवतरण की कथा भी विस्तार पूर्वक दी गई है। दूसरे

शास्त्र गारुड़ी तंत्र, सुदर्शन संहिता और अगस्त्यसंहिता आदि के अनुसार हनुमान जी ज्ञान और विद्या के प्रतीक हैं। मनुष्य को ज्ञान और विद्या प्राप्त करने पर ही उसका आत्मविश्वास स्वतः स्फूर्त हो जाता है और फिर जटिल से जटिल समस्या का समाधान हो जाता है क्योंकि हनुमान जी में ज्ञान और विद्या नैसर्गिक रूप से

भक्त और भक्ति भारतीय दर्शन में पवित्रतम स्थान पर आसीन रहे हैं। अब सांस्कृतिक अज्ञानता के कारण इन्हें नकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। इन पवित्र शब्दों को ज्ञान और तर्क का विरोधी का बताया जा रहा है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि हम इस बात को समझें कि भारतीय

हिमाचल भूमि अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जानी जाती है।  यहां के अधिकांश मेले, त्योहार और उत्सव भी प्राचीन परंपराओं, धार्मिक मान्यताओं के आधार पर मनाए जाते हैं। हिमाचल में कई मेले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और कई राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाते हैं। यहां के ग्रामीण मेले धार्मिक मान्यताओं,फसलों के पकने और काटने पर मनाए