संपादकीय

वाह! क्या सेमीफाइनल मैच था!! विराट कोहली और मुहम्मद शमी के लिए तो यह फाइनल मैच था। विराट ने ऐतिहासिक 50वां एकदिनी शतक लगा कर महान सचिन तेंदुलकर का कीर्तिमान पार किया, तो शमी की सटीक और तूफानी गेंदों ने 57 रन देकर 7 विकेट उखाड़ दिए। अभूतपूर्व, अविश्वसनीय क्रिकेट थी यह! शमी पहले भारतीय और अंतरराष्ट्रीय गेंदबाज हैं, जिन्होंने विश्व कप के सेमीफाइनल में ऐसा सशक्त और विविधतापूर्ण प्रदर्शन किया

बहुत पहले कुल्लू दशहरा के सांस्कृतिक मंच से बेदखल होने पर नाटी किंग ठाकुर दास राठी के आंसू छलके थे और इस बार रामपुर की लवी ने हिमाचली गायक एसी भारद्वाज को परास्त कर दिया। लोक गायक का गुस्सा फूटना स्वाभाविक है और जिस तरह सोशल मीडिया पर हिमाचल की सांस्कृतिक नौटंकी का पर्दाफाश हो रहा है, उसे सामान्य नहीं माना जा सकता। कुछ तो रही होगी तेरी बेरुखी, वरना हम तेरी ही गलियों में क्यों चीखते। उम्मीद है एसी भारद्वाज जैसे लोकगायक का क्रंदन सरकार के गलियारों में सुना जाएगा। आश्चर्य यह कि जब दशहरा की सात सांस्कृतिक

हाल ही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, मूल मुद्रास्फीति, थोक मूल्य सूचकांक की दरें घोषित की गई हैं। औसतन मुद्रास्फीति की दर लक्षित दर से कम है, लिहाजा भारत सरकार गाल बजा सकती है कि उसने महंगाई को नियंत्रित रखा है, लेकिन यथार्थ कुछ और ही है। सामान्य और आसान शब्दों में कहें, तो आम आदमी के लिए ‘दाल-रोटी की मुद्रास्फीति’ अब भी ज्यादा है। महंगाई अब भी काफी ज्यादा है। बेशक अर्थशास्त्र की भाषा में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक स्पष्ट करता है कि अक्तूबर में सालाना खुदरा मुद्रास्फीति 4.87 फीसदी है। यह जुलाई में 7.44 फीसदी थी, जिससे लगातार

छह हरित गलियारों के तहत अपने ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को पूरी तरह ग्रीन करने की मंशा रखने वाले हिमाचल को अपने आचरण की परीक्षा ले लेनी चाहिए। इसी दीपावली के पटाखों ने यह साबित कर दिया है कि हम अपनी शोहरत-दौलत और दिखावट के लिए पर्यावरण में जहर घोल सकते हैं। दिवाली गुजरने के बाद एयर क्वालिटी का सूचनांक बता रहा है कि हवा में हमारी भी सांसें अटक सकती हैं। शिमला व धर्मशाला जैसे पर्यटक शहरों में अगर हवा बिगड़ रही है, तो दिल्ली की तर्ज पर हमें भी अपने इर्द-गिर्द प्रदूषण के खिलाफ आचरण को संयमित करना पड़ेगा। बेशक प्रदेश 107 ई चार्जिंग स्टे

प्रधानमंत्री मोदी का दावा है कि वह ‘हवा का रुख’ पढऩे में सक्षम हैं। यह दावा छत्तीसगढ़ चुनाव के संदर्भ में किया गया। प्रधानमंत्री ने यह भी ऐलान किया कि कांग्रेस सरकार की ‘चला-चली’ की बेला है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी चुनाव हार रहे हैं। दरअसल यह चुनावी मौसम का दौर है। कांग्रेस नेता भी दावे कर रहे हैं कि भाजपा की करारी पराजय होगी। कांग्रेस पांचों राज्यों में विजयी होने के भी दावे कर रही है। बेशक प्रधानमंत्री को ‘हवा के रुख’ की जान

हिमाचल के लापचा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन व सैनिक शिविर में दिवाली का उत्साह सांझा करना, देश के प्रति कत्र्तव्य की एक सुनहरी याद है। सीमांत क्षेत्रों में असामान्य परिस्थितियों में तैनात सैन्य कर्मियों से रूबरू होने की परंपरा में, प्रधानमंत्री का दौरा राष्ट्रीय घटनाक्रम है, लेकिन कमोबेश ऐसी ही परिस्थितियों में हिमाचल के भी कई गांव और काम अपने हिस्से की दुरुहता बटोरते हैं। ऐसे में भले ही प्रधानमंत्री

दीपावली के अगले दिन ही राजधानी दिल्ली और आसपास के कई इलाकों की हवा फिर ‘जहरीली’ हो गई। कुछ बूंदाबांदी के बाद जो राहत मिली थी, उसे त्योहार की एक रात ने ही स्वाहा कर दिया। दीपावली पर्व, आस्था और मानवीय भावनाओं के कुतर्क देते हुए आधी रात तक खूब पटाखे, बम, आतिशबाजियां जलाए और फोड़े गए। किसी को भी प्रदूषण की चिंता नहीं थी और न ही उसके जानलेवा प्रभावों के प्रति कोई सरोकार है। विषैला परिणाम सामने है

अस्पताल से स्वस्थ होकर लौटना, खुद के आत्मबल को जीतना भी है। जीवन संघर्ष की दास्तान का एक ताल्लुक हिमाचल की स्वास्थ्य सेवाओं और बदलते परिदृश्य में सार्वजनिक अस्पतालों और अब मेडिकल कालेजों की व्यवस्था से भी है। भीड़ बढ़ती जा रही उस मुकाम पे, जहां हर डाक्टर को देखती निगाहें एहतराम से। इस व्यवस्था के बीच चीखती जिंदगी के कई पहलू कई विराम पैदा होते हैं, तो हमारी आस्था के ये संस्थान मरीज

आज दुनिया में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते, भयावह प्रभावों की बात करेंगे। हम नवम्बर में दीपावली पर्व मना रहे हैं, लेकिन हमारे गरम कपड़े अभी गायब हैं। देश के करीब 99 फीसदी हिस्से अधिक तापमान को झेल रहे हैं। राजधानी दिल्ली और आसपास के शहरों का अधिकतम तापमान अब भी 32-34 डिग्री सेल्सियस है। रात के न्यूनतम तापमान में कुछ ठंडक आई है, लेकिन पंखे अब भी चल रहे हैं। औसत तापमान सामान्य से अधिक है, लिहाजा सर्दी का एहसास भी गायब है। मौसम विज्ञानियों का आकलन है कि इस बार 15 दिसंबर तक वैसी सर्दी महसूस नहीं होगी, जिसके लिए दिल्ली और आसपास के क्षेत्र विख्यात हैं। बीती कई सदियों की सर्दी का आकलन किया गया है, तो 2023 को स