वैचारिक लेख

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार न्यायालय के किसी न्यायाधीश ने कहीं टिप्पणी की है कि पुलिस को प्रोफेशनल तरीके से काम करना चाहिए, लेकिन शायद उन्होंने इस नए आतंकी  प्रयोग में की गई हत्याओं की ओर ध्यान नहीं दिया होगा। पुलिस ने प्रोफेशनल तरीके से काम किया या नहीं, इसका मूल्यांकन तो इस प्रोफेशन

कंचन शर्मा लेखिका, शिमला से हैं 73वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  जल संकट का उल्लेख करते हुए ‘जल जीवन मिशन’ की उद्घोषणा  की व देश की जनता से इसे स्वच्छता अभियान की तरह राष्ट्रव्यापी अभियान बनाने और केंद्र व राज्य सरकारों को एक साथ मिलकर इस मिशन

कर्नल (रि.) मनीष धीमान स्वतंत्र लेखक पिछले महीने फरवरी के अंत में अमरीकी राष्ट्रपति का भारतीय दौरा जिसका मुख्य उद्देश्य व्यापार बढ़ाने के साथ अमरीका में आने वाले समय में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में प्रवासी भारतीय जो अभी तक डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार की तरफ  अपना झुकाव दिखाते रहे हैं उनके वोटों को साधने

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार क्या देश की छवि को धूमिल करने के लिए यह जानबूझ कर की गई योजना थी? जब आग बुझ जाती है तब ये मुद्दे विचार करने लायक होते हैं। क्या आपको लगता है कि 200 गुप्तचरों की उपस्थिति वाले एक शक्तिशाली राष्ट्र को यह नहीं पता था कि राष्ट्रपति

पूरन सरमा स्वतंत्र लेखक मेरे मोहल्ले में कुत्तों की नस्ल दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है। कुत्ता संरक्षण के मामले में मेरे मोहल्ले के निवासी वन्यजीव प्रेमियों से कम नहीं हैं। उन्होंने न तो कभी नगरपालिका में इस बात की शिकायत ही की कि उनके यहां कुत्तों की संख्या निरंतर बढ़ रही है, न

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक हमारे देश में भी जो राज्य हर प्रकार से समृद्ध हैं वे खेलों में भी अग्रणी हैं। आज जब गांव का जीवन खत्म हो कर शहरीकरण होता जा रहा है, इससे शारीरिक श्रम बिलकुल खत्म हो रहा है। इसलिए सामान्य फिटनेस के लिए अधिक से अधिक खेल सुविधाओं की जरूरत

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार जब माताएं बच्चों के साथ आया करती थीं तो वे बराबर ‘यह न करना, वह न करना, अरे यह तो बड़ा खतरनाक खेल है’ आदि चिल्लाती रहती थीं। बच्चे उन नसीहतों से इस कद्र नाराज हो जाते थे कि उनमें  ‘समझ क्या रखा है’ ठहरो, मैं अभी कुछ कर दिखाता हूं,

सुरेश सेठ sethsuresh25U@gmail.com नगरी अंधेरी थी, और राजा चौपट था, लेकिन फिर भी अगर आज भारतेंदु होते, तो उससे प्रेरित हो कर अंधेरी नगरी चौपट राजा, न लिख पाते, क्योंकि यहां न टके सेर भाजी बिकती थी, और न ही टके सेर खाजा। खाजा तो खैर सरहदों पर नाकाबंदी के कारण खत्म हो गया। जब

कर्म सिंह ठाकुर लेखक, मंडी से हैं बजट में प्रदेश की जनता माननीय मुख्यमंत्री द्वारा अधिक से अधिक आम जनता की समस्याओं से मुक्ति का रास्ता चाहती है। वर्तमान में प्रदेश सरकार अनुबंध कर्मचारियों के माध्यम से नियुक्तियां कर रही है, जिसमें पिछले एक दशक से अनेकों विसंगतियां पैदा हो गई हैं। किसी भी सरकार