डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं बहुत साल पहले, मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और देश में से अंग्रेजों को गए और पाकिस्तान के बने हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ था। तब मध्य प्रदेश सरकार ने स्कूलों में पहली कक्षा में पढ़ाई जाने वाली पुस्तक में ‘ग’ से गणेश को

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं श्रीनगर और अनंतनाग के संसदीय क्षेत्रों से उपचुनावों की घोषणा हो गई है। यदि नेशनल कान्फ्रेंस और अब्दुल्ला परिवार को अपनी खोई हुई साख फिर से प्राप्त करनी है, तो  श्रीनगर की लोकसभा सीट जीतना बहुत जरूरी है। फारुक अब्दुल्ला भलीभांति यह जानते

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री (लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं ) भाजपा को साठ सदस्यीय विधान सभा में 21 और कांग्रेस को 28 सीटें प्राप्त हुईं। कांग्रेस के प्रति जन आक्रोश कितना ज्यादा था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस को इकतीस का जादुई आंकड़ा छूने के लिए केवल तीन विधायकों की जरूरत

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ( डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं ) सरदार पटेल की भी 1950 में ही मृत्यु हो गई थी, अन्यथा वह नेहरू को इस भारतघाती रास्ते पर आगे बढ़ने से रोक सकते थे। समय पाकर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने भी राग अलापना शुरू कर दिया कि रक्षा, संचार और

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री (लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं) परशुराम की धरती केरल में पिछले अनेक सालों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता साम्यवादी हिंसा के शिकार हो रहे हैं। यह असहिष्णुता केरल की धरती पर देखी जा रही है, जहां से कभी आदि शंकराचार्य शास्त्रार्थ का अस्त्र लेकर निकले थे, लेकिन इन साम्यवादियों के लिए

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं जैसे-जैसे कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों में लड़ाई तेज होती हुई एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है, वैसे-वैसे कश्मीरी युवा के नाम की आड़ में, आतंकियों से सहानुभूति रखने वाले सामने आने को विवश हो रहे हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ( लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं ) बेचारे मनमोहन सिंह अजीब दुविधा में हैं। न तो बैठे रह सकते हैं और न ही शेष कांग्रेसियों के साथ कुएं की ओर जा सकते हैं। प्रधानमंत्री के पद से मुक्त हो जाने के बाद भी उन्हें उन्हीं की संगत में रहना पड़ रहा है,

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री (  लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं ) जो मुसलमान मूल रूप से भारत के ही रहने वाले हैं और उन्होंने किन्हीं भी कारणों से अपनी पूजा पद्धति बदल ली, उनको तो शायद हिंदू राष्ट्रीयता के अर्थों में स्वीकारने में कोई आपत्ति नहीं है। यही कारण है कि शेख मोहम्मद अब्दुल्ला तक ने

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं आम जनता की नजर से इन स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारों को गिराने के लिए अंततः सिनेमा का सहारा लिया गया। सिनेमा की पहुंच दूर-दूर तक है और प्रत्यक्ष दिखाई गई चीज का आम जनता पर गहरा असर होता है। संजय लीला भंसाली