पीके खुराना

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार प्रधानमंत्री ने दावा भी किया कि नोटबंदी एकाएक उठाया गया कदम नहीं था, क्योंकि वे काले धन वालों को चेतावनी देते रहे थे, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया और उनसे यह नहीं पूछा गया, कि यदि यह योजना एक वर्ष पहले से अमल में लाई जा रही थी, तो देश को

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार समस्या यह है कि मोदी और उनकी टीम के लोग समस्याओं का समाधान ढूंढने के बजाय अपनी असफलताओं का ठीकरा पिछली सरकारों पर फोड़ने के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं। किसान और छोटे व्यापारी हताश हैं, इंस्पेक्टर राज नए सिरे से शुरू हो गया है। हमारे युवा पकौड़ा रोजगार का

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार जिसे कांग्रेसी अपनी जीत मान रहे हैं, वह कांग्रेस की जीत नहीं है। यदि लोग कांग्रेस से खुश होते, तो वह मिजोरम में सत्ता से बाहर न कर दी जाती। यदि लोग कांग्रेस से खुश होते, तो तेलंगाना में कांग्रेस की ऐसी दुर्गति न होती। सच तो यह है कि मतदाताओं

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक सच यह है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस नहीं जीती है, बल्कि भाजपा हारी है। हवाई वादे, काम के बजाय प्रचार, दमन चक्र और झूठ की चादर आदि कारणों से मतदाताओं में नाराजगी थी और यह नाराजगी स्थानीय नेतृत्व के प्रति कम, प्रधानमंत्री के

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं सदन का स्थगन रीति बन गया और कोरम पूरा करके सदन की कार्यवाही चलाने के लिए सांसदों को घेर कर लाने की आवश्यकता पड़ने लगी। परिणामस्वरूप संसद में पेश बिल बिना किसी जांच-परख के ध्वनि मत से पास होने लगे। आंकड़ों की बात करें, तो सन्

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं यह एक तथ्य है कि मुज्ज्फरनगर के दंगों में मुस्लिम समाज को ज्यादा क्षति पहुंची, उनके ज्यादा लोग मरे, लेकिन भाजपा ने जानबूझकर गलत आंकड़े पेश किए। अखिलेश यादव ने छात्रवृत्तियां दीं, लैपटॉप बांटे, तो वे किसी एक जाति विशेष के लिए नहीं थे, सब को

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं अब समय आ गया है कि हम राजनीतिक दलों और राजनीतिज्ञों से ही नहीं, बल्कि चुनाव आयोग से भी पूछें कि देश में चुनाव के खर्च को लेकर यह पाखंड क्यों चल रहा है? चुनाव में काले धन का प्रयोग भ्रष्टाचार की जननी है और इस

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं सरदार पटेल की मूर्ति के उद्घाटन के बाद वहां पर्यटकों का तांता लग गया। इस परिसर में निजी वाहनों को सीधे प्रवेश नहीं मिलता और परिसर के बाहर पार्किंग की कोई सुविधा नहीं है, वाहनों और पैदल पर्यटकों के लिए अलग मार्ग नहीं हैं, प्रतीक्षालय नहीं

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं भाजपा में यूं भी अब लोग स्वयं को घुटा-घुटा सा महसूस करते हैं और कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं करते, लेकिन चुनाव के समय टिकटें न मिलने पर असंतोष का जो लावा फूटेगा, उसे संभाल पाना मोदी और शाह की जोड़ी के लिए सचमुच बहुत