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वाल्मीकि रामायण के अनुसार ‘आदित्य हृदय स्तोत्र’ अगस्त्य ऋषि द्वारा भगवान् श्री राम को युद्ध में रावण पर विजय प्राप्ति हेतु दिया गया था। आदित्य हृदय स्तोत्र का नित्य पाठ जीवन के अनेक कष्टों का एकमात्र निवारण है। इसके नियमित पाठ से मानसिक कष्ट, हृदय रोग, तनाव, शत्रु कष्ट और असफलताओं पर विजय प्राप्त की

समर्थ रामदास महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत थे। वे छत्रपति शिवाजी के गुरु थे। उन्होंने दासबोध नामक एक ग्रंथ की रचना भी की थी, जो मराठी भाषा में है। हिंदू पद पादशाही के संस्थापक शिवाजी के गुरु रामदास जी का नाम भारत के साधु-संतों व विद्वत समाज में सुविख्यात है। महाराष्ट्र तथा संपूर्ण दक्षिण भारत में

बातल की प्राचीनता की पुष्टि गांव का प्राचीन शिव मंदिर है जिसे राणा जगतसिंह के भाई मदन सिंह ने संवत 1814 विक्रमी श्रावण पूर्णिमा सन् 1757 ई. को निर्मित करवाकर यहां यज्ञ का आयोजन किया था… आजादी से पूर्व ऐतिहासिक गांव बातल महासू की प्राचीन तीस रियासतों में सबसे बड़ा गांव था। वैदिक साहित्य, ज्योतिष कर्मकांड

समुद्रतल से 350 मीटर की ऊंचाई पर यहां चंद्रशेखर शिव का भी मंदिर है। यहां सती की ‘दाहिनी भुजा’ का निपात हुआ था। यहां की शक्ति भवानी तथा शिव चंद्रशेखर हैं। यहीं पर पास में ही सीताकुंड, व्यासकुंड, सूर्यकुंड, ब्रह्मकुंड, बाड़व कुंड, लवणाक्ष तीर्थ, सहस्रधाराएं जनकोटि शिव भी हैं… आदि शक्तिपीठों की संख्या 4 मानी

24 फरवरी रविवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, षष्ठी 25 फरवरी सोमवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, सप्तमी 26 फरवरी मंगलवार, फाल्गुन,  कृष्णपक्ष, अष्टमी 27 फरवरी बुधवार,  फाल्गुन,  कृष्णपक्ष, नवमी, रामदास नवमी 28 फरवरी बृहस्पतिवार, फाल्गुन,  कृष्णपक्ष, दशमी 1 मार्च शुक्रवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, दशमी 2 मार्च शनिवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, एकादशी, विजया एकादशी व्रत  

अगर रोजाना केवल एक मंजिल सीढि़यां चढ़कर अपने घर या आफिस जाते हैं, तो वह आपके आधे किलोमीटर ट्रेडमील पर चलने के बराबर हो जाता है। वहीं, अगर आप दो से तीन बार सीढि़यां चढ़-उतर लेते हैं, तो आपकी बॉडी को इसके बाद जिम जाने की जरूरत ही नहीं रहती… आज के समय में हर

सदगुरु  जग्गी वासुदेव मैं भारत में चारों ओर, इधर से उधर घूमा। किसी खास स्थान पर जाने के लिए नहीं, मुझे बस हर एक इलाका देखना था। मेरे लिए सब कुछ चित्र रूप ही होता है। मैं कभी, कुछ भी शब्द में नहीं सोचता था। मैं बस सभी इलाके देखना चाहता था,जमीन के हर हिस्से

विश्वामित्र वैदिक काल के विख्यात ऋषि (योगी) थे। ऋषि विश्वामित्र बड़े ही प्रतापी और तेजस्वी महापुरुष थे। ऋषि धर्म ग्रहण करने के पूर्व वे बड़े पराक्रमी और प्रजावत्सल नरेश थे। प्रजापति के पुत्र कुश, कुश के पुत्र कुशनाभ और कुशनाभ के पुत्र राजा गाधि थे। विश्वामित्र जी उन्हीं गाधि के पुत्र थे। विश्वामित्र शब्द विश्व

घर में बड़े बुजुर्ग लोगों को तांबे के बरतन में पानी रखते हुए देखा है। क्या इससे कुछ फायदा होता है। आजकल के जमाने में इन्हें पुराने जमाने की चीजें मानकर बदल दिया जाता है और फैशन और सुविधा के हिसाब से प्लास्टिक की बोतल या केन में पानी भरकर रखा जाता है, लेकिन अब