आस्था

इन दिनों की सबसे बड़ी तात्कालिक समस्या यह है कि समाज परिकर में छाई विपन्नताओं से किस प्रकार छुटकारा पाया जाए और उज्ज्वल भविष्य की संरचना के लिए क्या किया जाए, जिससे निरापद और सुविकसित जीवन जी सकना संभव हो सके। समाज विज्ञानियों द्वारा प्रस्तुत कठिनाइयों का कारण अभावग्रस्तता को मान लिया गया है। इसी

अब बेशक हम पढ़ लेते हैं धार्मिक पुस्तकों में कि सुख और दुख में समबुद्धि रखनी चाहिए परंतु जरा सा भी कोई कांटा पांव में चुभ जाता है, तो यह सारे सूत्र खो जाते हैं, फिर गीता भूल जाती है, ग्रंथ भूल जाते हैं, बस हम पांव पकड़ लेते हैं कि हाय! कांटा चुभ गया

8 नवंबर रविवार, कार्तिक, कृष्णपक्ष, सप्तमी, अहोई अष्टमी व्रत 9 नवंबर सोमवार, कार्तिक, कृष्णपक्ष, नवमी 10 नवंबर मंगलवार, कार्तिक, कृष्णपक्ष, दशमी 11 नवंबर बुधवार, कार्तिक, कृष्णपक्ष, एकादशी, रमा एकादशी व्रत 12 नवंबर बृहस्पतिवार, कार्तिक, कृष्णपक्ष, द्वादशी, गोवत्स द्वादशी 13 नवंबर शुक्रवार, कार्तिक, कृष्णपक्ष, त्रयोदशी, धन त्रयोदशी, धन्वंतरि जयंती 14 नवंबर शनिवार, कार्तिक, कृष्णपक्ष, चतुर्दशी, दिवाली

उसने मुझे घूरकर देखा- ‘तो क्या तुम भी…।’ मैं मुस्करा उठा। मैंने अपने हाथ से कुछ विशेष तांत्रिक मुद्रा का प्रदर्शन किया जो एक तांत्रिक दूसरे तांत्रिक को अपना परिचय देते समय करता है। उसका चेहरा तनाव रहित हो गया। सामान्य हो गई वह, मां काली के पास अपने आसन पर बैठ गई वह। वह

रानी घर के दरवाजे के पास जाकर खड़ी ही हुई थी कि कूड़ा बाहर फेंकने के लिए स्नोव्हाइट ने घर का दरवाजा खोला। ‘अहा, कैसी हो सुंदरी बेटी?’ रानी ने पूछा, जो अब कुरूप बुढि़या बन गई थी। ‘ठीक हूं नानी। तुम कैसी हो?’ स्नोव्हाइट ने शिष्टाचार निभाते हुए कहा। ‘मैं भी ठीक हूं बेटी।’

दोनों का प्रेम प्रतिदिन प्रगाढ़ होता चला गया, चोंच से दबाकर अपनी चीजें बांटकर खाते। कुछ ऐसा हुआ कि श्रीमती एनन की एक रिश्तेदार को तोता भा गया। वे जिद करके उसे मांग ले गईं। ठीक उसी दिन मैना बीमार पड़ गई और चौथे दिन सायंकाल पांच बजे उसने अपनी नश्वर देह त्याग दी। तोता

वैदिक साहित्य में ‘राम’ का उल्लेख प्रचलित रूप में नहीं मिलता है। ऋग्वेद में केवल दो स्थलों पर ही ‘राम’ शब्द का प्रयोग हुआ है। उनमें से भी एक जगह काले रंग (रात के अंधकार) के अर्थ में, तथा शेष एक जगह ही व्यक्ति के अर्थ में प्रयोग हुआ है। लेकिन वहां भी उनके अवतारी

ऋष्यादिन्यास : ओउम गणक ऋषये नमः (शिरसि)। ओउम निचृद्गायत्री छंदसे नमः (मुखे)। ओउम एकाक्षर गणपति देवतायै नमः (हृदये)। ओउम गं बीजाय नमः (गुह्ये)। ओउम आं अः शक्तये नमः (पादयोः)। ओउम ग्लौं कीलकाय नमः (नाभौ)। ओउम विनियोगाय नमः (सर्वांगे)। कर-हृदयादिन्यास : ओउम गां (अंगुष्ठाभ्यां नमः, हृदयाय नमः)। ओउम गीं (तर्जनीभ्यां नमः, शिरसे स्वाहा)। ओउम गूं (मध्यमाभ्यां

त्‍योहारों में रखें सेहत का ध्‍यान बाहर की चीजों को इग्नोर करें। हाईड्रेटेड रहना हमेशा याद रखें। खूब पानी और दूसरे तरल पेय पिएं। त्योहारों में हम जल्दबाजी में भी रहते हैं। हमें अपने काम के साथ घूमने, खरीदारी करने और कई अन्य चीजों के बीच संतुलन बनाना होता है। इस व्यस्तता में हमें कभी