आस्था

कुंडलिनी शक्ति पर अभी तक बहुत कम अनुसंधान हुआ है। यह ज्ञान योगियों, संतों और कुछ ग्रंथों तक ही सीमित है। आज के आधुनिक युग में यह अनुभव का विषय है। जो थोड़े-बहुत परीक्षण किए गए, उनसे पता चलता है कि कुछ योगी हृदय की धड़कन को 72 बार प्रति मिनट से 30-35 बार प्रति

यदि आप भी अपने वजन को कम करने के प्रयास में लगे है, तो आप यह अच्छे से समझते होंगे कि फिट बॉडी पाना कितना कठिन है। जी हां आपका वजन कब बढ़ जाता है, उसका पता नहीं चल पाता, लेकिन वजन को कम करना उतना ही कठिन होता है। यही वजह है कि लोग

इस मौसम में केवल त्वचा ही नहीं, बल्कि बालों की भी विशेष देखभाल की जरूरत होती है। बारिश के मौसम में बालों के बार-बार गीले होने का डर बना रहता है। बारिश के दौरान बालों के भीगने से पानी में मौजूद प्रदूषित तत्त्व बालों को कमजोर और डल बना देते हैं। इसलिए बालों को कवर

सदगुरु  जग्गी वासुदेव अभी हाल ही में, एक महिला मुझे बता रही थी कि कैसे वह कुछ खास ऊर्जा को महसूस कर पाती है और कैसे अलग-अलग लोग, विभिन्न प्रकार के रूप और कई खास स्थान आप पर प्रभाव डालते हैं। प्राण-प्रतिष्ठा करने के लिए सबसे अच्छी सामग्री तो मनुष्य ही है क्योंकि इस धरती

बारिश का मौसम आते ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। ऐसे में लोग सबसे ज्यादा बुखार और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार बनते हैं। इसलिए इस मौसम में सेहत पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है। सेहत बनाए रखने में मौसमी फल काफी कारगर साबित होते हैं। बारिश के मौसम में

हेपेटाइटिस ऐसी बीमारी है, जिसमें संक्रमण के कारण लिवर में सूजन आ जाती है। मानसून में इस बीमारी का खतरा सबसे अधिक महिलाओं को रहता है। दरअसल महिलाओं का इम्यून सिस्टम पुरुषों के मुकाबले ज्यादा कमजोर होता है, जिसके कारण वो इसकी चपेट में जल्दी आ जाती हैं। इस बीमारी के कारण हर साल दुनियाभर

बारिश के पानी में कागज की नावों को बनाने और उन्हें पानी में बहाने से लेकर मानसून और भी कई खुशियों को अपने साथ लेकर आता है, जिसका आनंद केवल बच्चे ही नहीं, बल्कि बड़े लोग भी लेते हैं। बारिश के मौसम में घर से बाहर हर समय सभी खेल नहीं खेले जा सकते हैं

* सुबह -शाम शहद में गिलोय का रस पीने से खून की कमी दूर होती है। * गिलोय में 5-6 तुलसी की पत्तियां मिलाकर काढ़ा बना लें और मरीज को पिलाएं। डेंगू बुखार से राहत मिलेगी। * पपीते के पत्तों को पीस कर इसका जूस बना लें। इसे पीने से भी बुखार में फायदा होता

हर साल श्रावण मास में लाखों की तादाद में कांवडि़ए सुदूर स्थानों से आकर गंगा जल से भरी कांवड़ लेकर पदयात्रा करके अपने गांव वापस लौटते हैं। इस यात्रा को कांवड़ यात्रा बोला जाता है। श्रावण की चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से अपने निवास के आसपास शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक किया