आस्था

मासिक शिवरात्रि प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। हिंदू धर्म में इस शिवरात्रि का भी बहुत महत्त्व है। शिवरात्रि भगवान शिव और शक्ति के अभिसरण का विशेष पर्व है। धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत आदि करने से भगवान शिव की विशेष कृपा द्वारा कोई भी

केरल सांस्कृतिक विविधता एवं प्राकृतिक सुंदरता के मामले में अत्यधिक समृद्ध राज्य है। यहां के लोग विरासत में मिली परंपरागत लोक तथा शास्त्रीय शैलियों को भविष्य के लिए संजोकर रखने में विश्वास रखते हैं। इससे यह बात प्रमाणित हो जाती है कि यहां के निवासी कितने कला प्रेमी व प्रायोगिक विचारधारा के हैं। कासरगोड जिला के

देवभूमि हिमाचल में देवी-देवताओं का वास कहा जाता है। यहां की संस्कृति और परंपराएं काफी अलग हैं। यूं तो प्रदेश भर में बहुत से मेले, त्योहार और उत्सव मनाए जाते हैं, लेकिन शिवभूमि चंबा का मिंजर मेला प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश भर में प्रसिद्ध है। चंबा शहर राजा साहिल वर्मन द्वारा उनकी

केरल के त्रिशूर जिले में 1000 साल पुराना वडकुनाथन मंदिर स्थित है। इसे टेंकैलाशम और तमिल भाषा में ऋषभाचलम् भी कहते हैं। यह देवस्थल केरल के सबसे पुराने और उत्तम श्रेणी के मंदिरों में गिना जाता है। यह स्थान उत्कृष्ट कला और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है,जो केरल की प्राचीन शैली को भलीभांति दर्शाता है।

* गलती उसी से होती है जो मेहनत करता है, निकम्मों की जिंदगी तो दूसरों की बुराई खोजने में खत्म हो जाती है * यदि लक्ष्य न मिले तो रास्ते बदलो, क्योंकि वृक्ष अपनी पत्तियां बदलते हैं,  जड़ें नहीं * बीता हुआ कल बदला नहीं जा सकता, लेकिन आने वाला कल हमेशा आपके हाथ में

श्रीराम शर्मा आशीर्वाद प्राप्त कर लेना हिंदू धर्म में परम सौभाग्य तथा विजय का सूचक माना गया है। यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि अपने से बड़े बुजुर्ग, माता-पिता एवं गुरुजनों से आशीर्वाद मिलने से मनुष्य का मनोबल बढ़ता है और उससे एक प्रकार की शक्ति अनुभव की जाती है। इसलिए प्रत्येक मंगल कार्य, उत्सव,

वैष्णवोऽशः परः सर्यों यौऽन्तज्यतेतिरसम्प्लवम्। अमिधायक ऊंकारतस्य तत्प्रेरकः परः। तेन सम्प्रेरित ययेतिरोङ्गारेनाथ दीप्तिमत्। दहत्य शेषरक्षांसि मन्देहाख्यानिताम्ञ वै। तस्मान्नोल्लंगनं कार्य सन्ध्योपासनाकर्मणिः। स हंति सूर्य सध्नयातानोपास्ते कुरुते तु यः। ततः प्रयाति भगवान्व्रह्मणैरभिक्षिः। बालखिल्यादिभ्रश्चैव जगतः पालनोद्यतः। काष्ठा निमेषा दश पञ्च चैवत्रिशच्च काष्ठा गणयेत्कला च। त्रिशत्कलचैव मवेन्मुहुर्तस्तौस्त्रिशता रात्र्यह्ननी समेत। हृसवृद्धो त्वहर्भोगौर्दिवसाना यथाक्रमस। सन्ध्यामुहुर्तमात्रा व हृसवृद्धयोः समास्मतः। रेखाप्रमुत्यथादित्ये त्रिमूहुर्तमते रवो। प्रातः

28 जुलाई रविवार, श्रावण, कृष्णपक्ष, एकादशी, कामिका एकादशी व्रत 29 जुलाई सोमवार, श्रावण, कृष्णपक्ष, द्वादशी, सोम प्रदोष व्रत 30 जुलाई मंगलवार, श्रावण़, कृष्णपक्ष, त्रयोदशी 31 जुलाई बुधवार,  श्रावण, कृष्णपक्ष, चतुर्दशी 1 अगस्त बृहस्पतिवार, श्रावण, कृष्णपक्ष, अमावस, श्रावण हरियाली 2 अगस्त शुक्रवार, श्रावण़, शुक्लपक्ष, द्वितीया 3 अगस्त शनिवार, श्रावण़, शुक्लपक्ष, तृतीया, हरियाली तीज

स्वामी रामस्वरूप वेद का अर्थ ही ज्ञान है। ज्ञान-विज्ञान, कर्म का ज्ञान और उपासना का ज्ञान, यह तीनों विद्याएं चारों वेदों में कही गई हैं। वेद में ही परमेश्वर ने अपने स्वरूप का ज्ञान दिया है। अतः जब तक ज्ञान-विज्ञान, कर्म एवं उपासना का ज्ञान हम विद्वान आचार्य से वेद सुनकर नहीं प्राप्त करते तब