पाठकों के पत्र

चटर-चटर आवाज ( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) बंगाली क्या बक रहा, चटर-चटर आवाज, अब्बा हाफिज पाक का, तभी उठ रही खाज। दीदी का भ्राता सगा, शक्ल मिल गई देख, बेची पाकिस्तान में, अक्ल बिक गई देख । चटर बड़ा विक्षिप्त है, इसका करें इलाज। मुंह काला कर गधे पर, सिंहासन दे आज, लेखक

(  आक्षित, आदित्य, तिलकराज गुप्ता, हरियाणा ) गत दिनों समाचार पत्रों की एक रिपोर्ट से ज्ञात हुआ कि भारत के महालेखा परीक्षक एवं नियंत्रक (सीएजी) ने 300 करोड़ रुपए से ज्यादा के अपने बकाया हवाई किरायों की वसूली न कर पाने पर एयर इंडिया को फटकार लगाई है। जाहिर है कि एयर इंडिया के बकाएदारों

माणिक मोती का खेल खेल रहे जो जान पर, तुमको सूझा खेल, जाधव कब से सड़ रहा, घुटता है नित जेल। आज खेल भी बिक रहा, कोहिनूर के दाम, हीरे की ऐसी चमक, मिले खुदा और राम। फुर्र हो गई भावना, धुला देश से प्यार, लॉकर को लगती मधुर, सिक्कों की झंकार। फौजी दुश्मन क्यों

( रचना शर्मा, कंदरोड़ी ) हिमाचल में इस वर्ष चुनाव होने हैं और इन चुनावों को देखते हुए केंद्र के बड़े-बड़े नेताओं ने हिमाचल का रुख करना शुरू कर दिया है। अभी हाल ही में गृहमंत्री हिमाचल आए और पैरामिलिट्री फोर्स की भर्ती हिमाचल में करने की घोषणा कर गए। फिर पेट्रोलियम मंत्री आए और

( केसी शर्मा,सूबेदार मेजर (रि.), गगल ) निचले हिमाचल में इस बार गेहूं की अछी फसल हुई है और किसानों ने इस बार गेहूं का मोल पंद्रह सौ रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। स्थानिय लोग अभी अपने लिए गेहूं खरीदने की तैयारी कर ही रहे थे कि पंजाबी व्यापारी हमारे किसानों के खेतों से

( कृष्ण संधु, कुल्लू ) गत 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया गया। इस दिवस को मनाने के लिए स्कूल के बच्चों को शामिल किया गया। अब जरा सोचें इन बच्चों के संदेश से क्या ये तंबाकू पीने वाले इसे पीना छोड़ देंगे। 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस था। इस दिन

(प्रेम कौशल, नादौन) आज ऐसा लगता है कि हिमाचल की युवा पीढ़ी का राजनीति पर विश्वास ही नहीं है। निर्वाचन आयोग के एक शोध के अनुसार प्रदेश की युवा पीढ़ी एक डाक्टर, इंजीनीयर,अध्यापक, सांइटिस्ट बनना चाहती है, लेकिन राजनेता बनना उन्हैं किसी भी सूरत में पसंद नहीं है। एक युवा ने तो यहां तक कह

(रूप सिंह नेगी, सोलन) इसे विडंबना ही माना जाएगा कि हम लोग हर रोज बांझ या अपंग हुए उन  बेजुबान गाय को घर से बाहर निकाल कर सड़कों पर मरने के लिए छोड़ जाते हैं और इसी वजह से हर रोज देश में हजारों की संख्या में निरंतर ये बेजुबान जानवर भूख-प्यास से या सड़क

(डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर) वो सीमा पर नित्य ही, लेते गर्दन नाप, कुछ सीखें अफगान से, चले खेलने आप। खरबूजा मीठा बहुत, नमक खा रहे प्याज, व्यापारी फलते-फूलते, त्यागी शर्म लिहाज। चला अमन का कारवां, दौड़ रही बस-रेल, बीयर साथ में, कैसा क्रिकेट खेल, बैट बॉल के साथ में, चिपका बम बारूद, माणिक-मोती लूटता,