डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार बाबा साहेब का अभिमत स्पष्ट है। शिक्षा जनहितकारी होनी चाहिए। शिक्षा से प्राप्त योग्यता का उपयोग वंचित समाज के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए, न कि उसके शोषण के लिए। शिक्षा का उद्देश्य बहुजन हिताय बहुजन सुखाय होना चाहिए, न कि स्व हिताय स्व सुखाय। यही कारण है

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार स्पष्ट है तिब्बत से विश्वासघात किए जाने से चीन की सेना लद्दाख की सीमा पर पहुंच जाएगी। उन दिनों लद्दाख जम्मू-कश्मीर का ही हिस्सा था। चीन की ओर संकेत करते हुए ही अंबेडकर कहते हैं, ‘कोई भी विजेता यदि कश्मीर पर अधिकार कर लेता है तो वह सीधा पठानकोट

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार राहुल गांधी ने कहा कि चिट्ठी लिखने वाले भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में हैं। भाजपा के इशारे पर ही चिट्ठी लिखी गई है। इसका अर्थ यह हुआ कि सोनिया परिवार का यह निष्कर्ष है कि इस देश में माई कन्ट्री की चिंता केवल भाजपा करती है तो यकीनन

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार अयोध्या के इस साम्राज्य के उत्थान-पतन की लंबी कहानी है। लेकिन श्री रामचंद्र की शासन व्यवस्था इतनी उत्तम थी कि उनकी राज्य व्यवस्था भविष्य के शासकों के लिए भी नजीर बन गई। इसीलिए अनेक बार राजनीतिक दल अपने चुनाव घोषणा पत्रों में मतदाताओं से वायदा भी करते हैं कि

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार प्रश्न है कि एक संगठित गिरोह को बेंगलुरू में आधी रात को यह हिंसा करके आतंक फैलाने की जरूरत क्यों पड़ी? लेकिन उससे भी बड़ा प्रश्न है कि इसके लिए किस घटना को बहाना बनाया गया? किसी दलित युवक नवीन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली जिसमें हजरत

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार यह इन्हीं संघर्षों का परिणाम था कि पांच सौ साल के बाद भारतीयों ने बाबर की भारत विजय के इस ग़ज़ट नोटिफिकेशन को डीनोटिफाई कर दिया। समस्त भारतीयों की ओर से नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त 2020 को उस स्थान पर एक बार फिर राम जी के घर-मंदिर को

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार इतिहास इस बात का गवाह है कि जब किसी देश में विदेशियों का कब्जा हो जाता है तो देश के कुछ मौका शिनाख्त शासकों के साथ जुड़ जाते हैं। इतना ही नहीं, वे अपनी भाषा, पोशाक, सभी कुछ विदेशी शासकों की अपना लेते हैं। अंग्रेजी के साथ भी ऐसा

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार मतांतरण की यह प्रक्रिया आज तक चली हुई है। फारस देश से आने वाले इन सैयदों और मध्य एशिया से आने वाले तुर्क-मुगल मंगोल ने अपने प्रयास नहीं छोड़े। वे कश्मीर के केवल इस्लामीकरण से ही संतुष्ट नहीं हुए, बल्कि उसके अरबीकरण की ओर भी प्रयासरत रहे। 1990 में

कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार आज स्थिति यह है कि इनकी लड़कियों का अपहरण हो जाता है, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। आजकल यूएसए में जनगणना शुरू होने वाली है, लेकिन सरकार इनकी संख्या को दर्ज करने से बचती रहती है, ताकि रिकार्ड में इनकी संख्या कम दिखाई जा सके। लेकिन पिछले कुछ साल