आस्था

पुत्र का सामर्थ्य और आज्ञाकारिता को देखकर दिति बोली, पुत्र ! इंद्र ने मेरे कितने ही पुत्रों का वध कर डाला है। मेरी इच्छा है कि इंद्र का वध करके तुम अपने भाइयों का प्रतिशोध लो। माता के वचनों को सुनकर वज्रांग जो आज्ञा कहकर चल दिया और अपने अमोघ, सामर्थ्य वाले पाश से इंद्र

नेक व भोले-भाले लोग जिनका आचरण भी बहुत अच्छा होता है। वे सारी आयु नेक जीवन ही व्यतीत करते हैं, वे लोग भी अपने साथियों की गलतियों के परिणाम स्वरूप नष्ट हो जाते है। इसलिए मैं भी किसी और (रावण) की गलती के वजह से नष्ट हो जाऊंगा… ऐसा राजा जो कि अनैतिक व बुरी

शंका — जब इंद्र ने गुरु के साथ द्रोह किया तो उन्होंने उसे श्राप क्यों नहीं दिया? समाधान — दघ्यङ ऋषि ने विचार किया कि श्वान, सर्प आदि जो तामसी जीव हैं। वे अपने अपकारी पर क्रोध करके हानि पहुंचाते हैं। यदि विद्वान पुरुष भी अपकारी जन पर उसी प्रकार क्रोध करें, तो उन तामसी

श्रीराम शर्मा हमारी शरीर यात्रा जिस रथ पर सवार होकर चल रही है, उसके कलपुर्जे कितनी विशिष्टताएं अपने अंदर धारण किए हुए हैं। हम कितने समर्थ और कितने सक्रिय हैं। इस पर हमने कभी विचार ही नहीं किया। बाहर की छोटी-छोटी चीजों को देखकर चकित हो जाते हैं और उनका बढ़ा-चढ़ा मूल्यांकन करते हैं, पर

बाबा हरदेव ये सारे पांच तत्त्व के पुतले हैं और इन सब में एक ही नूर, परमात्मा के अंश के रूप में, आत्मा के रूप में है। यह जो सर्वत्र समाई परम सत्ता है, यह घट-घट में बसती है। यह एक आत्मा के रूप में हर किसी में बसती है… हम चारों तरफ  जो वातावरण

स्वामी रामस्वरूप प्रामाणिक वाल्मीकि रामायण में शिवजी महाराज का वर्णन है कि जब विश्वामित्र जी श्रीराम एवं लक्ष्मण को जंगल में राक्षसों का वध करने ले गए थे। तब उन्होंने गंगा और सरयू नदी का संगम देखा। उस संगम स्थल पर अनेक वर्षों से घोर तप में लगे हुए पवित्रात्मा ऋषियों का एक आश्रय था…

* उस इनसान से ज्यादा गरीब कोई नहीं है, जिसके पास केवल पैसा है। * अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है।  इससे दूसरे शब्दों में, यही प्रमाणित होता है कि बीते हुए कल की अपेक्षा आज आप अधिक बुद्धिमान हैं। * कर्त्तव्य ही ऐसा आदर्श है, जो कभी धोखा

मां शीतला संक्रामक रोगों के शमन के लिए पूजी जाती हैं। उनका पूजन ऐसे समय होता है, जब संक्रामक रोगों को फैलने की संभावना अधिक होती है। इसी तरह नीम के वृक्ष में उनका वास माना जाता है। हम सभी जानते हैं कि संक्रामक रोगों में नीम का वृक्ष कितना उपयोगी होता है… मां शीतला

नीम में शीतला माता का वास माना जाता है। इसीलिए भारत में द्वार के सामने नीम के पौधे को रोपकर उसकी पूजा करने की परंपरा रही है। मां शीतला संक्रामक रोगों को शांत करने वाली देवी हैं। नीम भी कैसे संक्रामक तथा अन्य रोगों का शमन करने में सहयोगी है, इसके बारे में बता रहे