आस्था

यदि कोई यह धारणा रखता है कि नशे में मस्त होकर संसार के विषय भोगे जाएं तो बहुत कुछ आनंद की उपलब्धि हो सकती है तो उसकी बुद्धि पर तरस खाना होगा। नशे तो जीवन की हरियाली के लिए आग और विषय साक्षात विष माने गए हैं। इनका सेवन करने वाला आनंद के स्थान पर

आस्था और विश्वास के प्रतीक नवरात्र का आगमन होने वाला है। नवरात्र में व्रत रखने की परंपरा बहुत पुरानी है। व्रत के दिनों में आपका खिला चेहरा मुरझा न जाए, आप तरोताजा रहकर दिनभर की भागदौड़ आसानी से कर सकें, इसके लिए आपको ध्यान रखना चाहिए। व्रत के दौरान खान-पान पर विशेष ध्यान न दिया

संगीत ध्वनियों की एक सुखद व्यवस्था है। हम संगीत में शब्द जोड़ सकते हैं। इन शब्दों का अर्थ होता है, मगर अर्थ अस्तित्वपरक नहीं होते। अर्थों को हम बनाते हैं। उनका बस मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक महत्त्व होता है। ध्वनि पैटर्न को ठीक से इस्तेमाल करने पर उसका जबरदस्त असर हो सकता है क्योंकि भौतिक अस्तित्व

जब हृदय पंप करता है, तो दिल के वाल्व खुल जाते हैं, जिस से रक्त आगे जाता है और हृदय की धड़कनों के बीच तुरंत ही वे बंद हो जाते हैं ताकि रक्त पीछे की तरफ  वापस न आ सके। एओर्टिक वाल्व रक्त को बाएं लोअर चैंबर (बायां वैंट्रिकल) से एओर्टिक में जाने के निर्देश

ओशो हम सभी दौड़ रहे हैं। सारे जगत में एक पागलपन पैदा कर रहे हैं। इसीलिए इतनी बेचैनी है, इतनी परेशानी है , इतनी प्रतिस्पर्धा है , इतना संघर्ष है। जिस देश में जितने ज्यादा लोग पागल होते हैं, समझ लेना चाहिए कि उस देश में उतनी ज्यादा शिक्षा फैल गई है। आज अमरीका सबसे

पपीता एक स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्द्धक फल है। इसके साथ ही इसके पेड़ में भी कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। हालांकि यह फल बच्चों को कम ही भाता है, परंतु यह कई रोगों का एकमात्र उपचार है। कच्चे पपीते में विटामिन ए और सी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही आयुर्वेद शास्त्र में

हे मुनिवर! सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग इन चारों युगों के एक हजार बार बीत जाने अर्थात चार हजार युगों का जितना समय होता है, उसे ब्रह्मा का एक दिन कहा जाता है। ब्रह्माणो दिवसे ब्रह्मन्मनवस्तु चतुर्दशः। भविति परिमाणं च तेषां कालकृतं शृणु। सत्पर्षयः सुरा शक्रो मनुस्तत्सूनवो नृपाः। एकाकाले हि सुज्यंते सहृियंते च पूर्ववत्। चतुर्युगाणां संख्याया

सबसे ज्यादा घमौरियां बच्चों को होती हैं क्योंकि उनकी पसीने की ग्रंथियां पूरी तरह से फंक्शनल नहीं होती हैं। ऐसे में बच्चों को नहाने के बाद पाउडर लगाना बहुत जरूरी है। साथ ही बच्चों को ढीले कपड़े ही पहनाने चाहिए… अब गर्मियों का मौसम आ ही गया है तो इस मौसम में सबसे ज्यादा जो

मानवजाति के सर्वनाश के लिए ही शराब की उत्पत्ति हुई है और वह इस पर तुली हुई है। शराब और व्यभिचार में गाढ़ी मित्रता है। जहां-जहां शराब है, वहां-वहां व्यभिचार भी जरूर होता है। शराब पीते ही नीति-अनीति की भावना तथा आत्मसंयम धूल में मिल जाता है और स्त्री-पुरुष ऐसी-ऐसी कुचेष्टाएं करने लगते हैं, जो