वैचारिक लेख

यदि हमें छोटे बच्चों, किशोरों, युवा पीढ़ी को आदर्श तथा जिम्मेदार नागरिक बनाना है तो ऐसे कदम शीघ्र उठाने की सख्त आवश्यकता है। आने वाले समय में ड्रग्स के लत वाले लोगों से, इंटरनेट के लती कई गुणा होंगे...

सुना है जब से रिपब्लिक ऑव इण्डिया रिपब्लिक ऑव मीडिया हुआ है, आर्यावर्त में राम राज्य की नींव पाताल लोक तक जा पहुँची है। जब नींव इतनी गहरी है तो इमारत कितनी बुलन्द होगी, इसका अन्दाज़ा लगाना मुश्किल नहीं। लेकिन यह पता लगाना कठिन है कि सरकार मीडिया में है या मीडिया सरकार में है। मोदिया चैनल और अख़बारें अगर सरकार की गोदी में बैठे होते तो शायद राम राज्य की नींव की गहराई का पता लगाना जऱा

देश में जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज की जानी होगी। अतिरिक्त नकदी की निकासी पर रिजर्व बैंक को ध्यान देना होगा। आवश्यक खाद्य पदार्थों के उपयुक्त रूप से आयात की रणनीति से मजबूत आपूर्ति से खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जाना

पूरा विश्व इस बीच दो गुटों में बंट चुका है। कुछ देश फिलिस्तीन के साथ, तो कुछ इजरायल को समर्थन दे रहे हंै। लेकिन युद्ध के मुख्य किरदार एक-दूसरे के अस्तित्व को ही मिटाने की जिद्द में गोला-बारूद दाग रहे हैं। मानो नामोनिशान ही मिटा देंगे, लेकिन इस बीच खुद को बचाने के

देश आज जिस स्थिति में है, वहां बुद्धिजीवी बनकर जी पाना हैरान करता है। दरअसल देश सोचने पर विवश है कि आखिर न चाहते हुए भी कोई बुद्धिजीवी बन कैसे सकता है। इसी विषय को लेकर राष्ट्रीय संगोष्ठी में ‘बुद्धिजीवी की अप्रासंगिकता’ पर विमर्श होना था। कई विश्वविद्यालय माथापच्ची के लिए तैयार थे। वे विश्वस्त थे कि किसी सिरफिरे अनुसंधान या नकली शोध की तरह इस विषय को निपटा दिया जाएगा। राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए मुख्यातिथि का चयन इस लिहाज से हो रहा था कि कहीं कोई बुद्धिजीवी ही चुन न लिया जाए। इसलिए तलाश थी कि

जब बात राष्ट्र के स्वाभिमान की हो तो बेगुनाहों का रक्त बहाने वाली मानसिकता पर ‘आंख के बदले आंख व दांत के बदले दांत’ के सिद्धांत को अपनाना पड़ता है, मगर आंख के बदले आंख विश्व को अंधा बना देगी, गांधी जी के इस कथन पर भी विचार होना चाहिए। दहशतगर्दी की हिमायत नहीं होनी

राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त और कला, साहित्य, मीडिया एवं सामाजिक सेवा के लिए समर्पित एक संस्था ने पिछले दिनों उन्हें सृजनशीलता, परिपक्वता, शालीनता, कार्यशीलता, कार्यदक्षता, संवेदनशीलता और अपने समस्त कार्यों में समर्पण के लिए सम्मानित कर दिया। संस्था ने यह कामना की कि वे समाज में आदर्श स्थापित करते रहें। इस सम्मान से वे

पूर्व में जनाधार के कारण कांग्रेस को यहां सीटों पर समझौता किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है। ऐसे में इन दलों की दूरियां बढ़ती जा रही हैं… विपक्षी गठबंधन इंडिया बनने से पहले ही बिखरने के कगार पर आ गया है। गठबंधन के दलों में आपसी मतभेद अब खुल कर सामने आते जा रहे

गुज्जर जिसे संस्कृत में गुर्जर कहा जाता है, जितना प्राचीन शब्द है, उतना ही प्राचीन इनका इतिहास है। गुजरात और राजस्थान से इनका इतिहास जुड़ा हुआ है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू और कश्मीर में जितने गुज्जर समुदाय के लोग हैं, वे सभी किसी न किसी समय राजस्थान से ही चल कर इन स्थानों पर पहुंचे थे। मोटे तौर पर गुज्जर पशुओं का पालन करते हैं। उनको लेकर निरन्तर एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं। लेकिन इतने वर्षों में गुज्जर जन-समुदाय के कुछ लोगों ने घुमक्कड़ी का जीवन छोड़ कर स्थायी तौर पर भी रहना शुरू कर दिया है। स्थायी